भक्ति हो तो ऐसी… करोड़ों का कारोबार त्‍याग मंदिर में बने सेवादार, पढ़ें डॉ. विवेक तांगड़ी की कहानी

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(www.arya-tv.com) लखनऊ: गौतम बुद्ध को तो हम सभी जानते हैं, जिन्होंने अपना सब कुछ त्याग दिया था. गौतम बुद्ध से ही प्रेरित होकर उनकी तरह ही राह चुनने वाले लखनऊ के डॉ. विवेक तांगड़ी को क्या आप जानते हैं? अगर नहीं, तो बता दें कि डॉ. विवेक ने 45 साल की उम्र में सभी कारोबार त्याग कर प्राचीन लेटे हुए हनुमान मंदिर में सेवादार का पद संभाला है. कभी वह सूट बूट और गले में टाई पहनते थे, लेकिन वह अब सफेद पोशाक में नजर आते हैं. डॉ. विवेक ने लोकल 18 को बताया कि इससे पहले वह अपने पिता का चिकनकारी का कारोबार संभाल रहे थे, जोकि 1880 से लगातार चल रहा है. साथ ही बताया कि उन्‍होंने लखनऊ में एक कॉलेज भी खोला, जहां मैनेजमेंट के कोर्स होते हैं.

इसके अलावा डॉ. विवेक शिक्षा जगत से भी लंबे वक्त तक जुड़े रहे हैं, तो उनका लखनऊ में एक अपना पानी का प्लांट भी है. जबकि ये सभी कारोबार सफल हुए थे. साथ ही बताया कि जब वह 22 साल के थे, तभी से मन में यह भावना थी कि जब 45 साल के होंगे तो तब तक सबकुछ हासिल करके इस उम्र पर त्याग देंगे. दरअसल सबकुछ छोड़कर एक वैराग्य का जीवन बिताने की ठानी थी. इसी कारण 45 साल की उम्र तक न सिर्फ कारोबार बल्कि अपने बच्चों को एक अच्छे मुकाम पर पहुंचा दिया. इसके साथ अब डॉ. विवेक ने वैराग्य का जीवन चुन लिया है.

लोग करते हैं गलत टिप्पणी
डॉ. विवेक ने बताया कि उन्होंने लेटे हुए प्राचीन हनुमान मंदिर की जब गद्दी संभाली, तो लोगों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह यह भी बनना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है. वह किसी भी राजनीति दल से नहीं जुड़े हैं और न ही करना चाहते हैं. वह बस राम भक्त हनुमान की सेवा करना चाहते हैं और अब तक वही कर रहे हैं.

सफेद पोशाक पर परिवार ने टोका
डॉ. विवेक ने बताया कि जब वह व्यापारी थे, तो सूट बूट पहनकर गले में टाई लगाकर चलते थे. वहीं, जब उन्होंने सेवादार का पद संभाला तो सफेद पोशाक धारण कर ली. इस पर उनकी पत्नी, बच्चे और पिता को भी आपत्ति होती है, लेकिन सभी धार्मिक हैं, तो अब सबको मना लिया है. दरअसल सभी ने मेरी सच्‍चाई को स्‍वीकार कर लिया है.

लाखों की संख्‍या में जुड़े हुए हैं भक्त
बता दें कि लखनऊ का लेटे हुए प्राचीन हनुमान मंदिर काफी पुराना है. यह शहर के पक्का पुल के पास स्थित है और यहां पर लाखों की संख्या में लोग आते हैं. साथ ही लोगों का डॉ. विवेक से भी खास जुड़ाव है, क्‍योंकि वह हर रविवार को गीता पर लोगों के साथ चर्चा करते हैं.