आखिर क्यों बढ़ाई गयी जिम्बाम्बे में पेट्रोल डीजल का कीमत

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AryaTvNews(shikha patel)ज़िम्बाब्वे में सरकार ने ईंधन की कीमतें दोगुनी कर दी है. इससे यहां पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतें दुनिया भर में सबसे महंगी हो गई हैं. सरकार का कहना है कि ईंधन की कमी को दूर करने और इसके अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए इसकी क़ीमतें बढ़ाई गई हैं. यहां पेट्रोल की क़ीमतें 88.36 रुपये (1.24 डॉलर) प्रति लीटर से बढ़कर 235.85 रुपये (3.31 डॉलर) हो गई हैं जबकि डीज़ल प्रति लीटर 96.91 रुपये (1.36 डॉलर) से बढ़कर 221.60 रुपये (3.11 डॉलर) हो गई हैं. राष्ट्रपति एमर्सन मनंगाग्वा ने ईंधन की क़ीमतों में वृद्धि की घोषणा करने के फौरन बाद यूरोपीय दौरे पर चले गए हैं, और उन्हें दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में भाग लेना है. इस सम्मेलन का आयोजन 21 से 25 जनवरी को किया जा रहा है.

ईंधन की कमी आख़िर क्यों हुई?

ज़िम्बाब्वे को अपनी सभी पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करना पड़ता है. इसके लिए इसे हार्ड करेंसी (दुर्लभ मुद्रा) की ज़रूरत होती है. हार्ड करेंसी उस मुद्रा को कहते हैं जिसे पूरी दुनिया में किसी भी मुद्रा के साथ बदला जा सके. नवंबर में वित्त मंत्री एम नेक्यूब ने बताया कि दुर्लभ विदेशी मुद्रा को अन्य ज़रूरी क्षेत्रों में आवंटित किए गए हैं, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश के खनन उद्योग में निवेश की जरूरत है. उन्होंने देश में ईंधन की किल्लत को स्वीकारते हुए इसके अधिक आयात के वित्तीय तरीकों को निकालने का वादा किया. पिछले साल की तुलना में इस साल ईंधन की मांग में इजाफ़े का भी इस कमी में योगदान है. सरकार ने ईंधन की कीमतों को बढ़ाने का फ़ैसला इसलिए किया ताकि इससे तेल की मांग पर अंकुश लगे साथ ही काला बाज़ारी भी रुके.लेकिन इसका व्यापक विरोध हो रहा है, लोग सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार से फ़ैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.पूरे देश में इस हताश आर्थिक माहौल में अपने बने रहने की संघर्ष में लगे कारोबारियों को उनकी लागत में बहुत भारी वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है.