- कैसे बचे वसुंधरा? गर्वित अभियान! साक्षात्कार: डॉ. अजय शुक्ला
कौन से वृक्ष लगाएं। महत्वपूर्ण प्रश्न।!
विगत कई अंकों में आर्य tv.com ने पोस्ट ग्रेजुएट इंजीनियर, पूर्व परमाणु वैज्ञानिक, सनातन चिंतक, कवि और लेखक विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी से सनातन के विषयों पर अनेकों साक्षात्कार प्रकाशित किए हैं। उनका दूसरा पहलू है पर्यावरणविद् होना। उनके विज्ञान से संबंधित सैकड़ो लेख देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय से लेकर विद्यालयों, लायंस, रोटरी, सीनियर सिटीजन सहित अनेकों क्लब और वैज्ञानिक संस्थानों में 100 से अधिक पर्यावरण संबंधी व्याख्यान दे चुके हैं।
वर्तमान अंक में हमें कौन से वृक्ष लगानी चाहिएं यह जानने के लिए डॉ. अजय शुक्ला ने विपुल जी का साक्षात्कार लिया। प्रस्तुत हैं कुछ जानकारी। मित्रों आपके पर्यावरण संबंधित प्रश्नों का स्वागत रहेगा!
डॉ. अजय शुक्ला: नमस्कार सर, हमें कौन से वृक्ष लगाने चाहिए? यह प्रश्न एक पाठक ने पूछा है!
विपुल जी: नमस्कार शुक्ला जी। स्कंदपुराण में एक श्लोक है। यह श्लोक हमको कौन से वृक्ष लगाए इस विषय में बताता है। यही वृक्ष क्रमानुसार सबसे अधिक पर्यावरण को लाभ पहुंचाने वाले वृक्ष होते हैं।
अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम्। न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान्।।
कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च। पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।
अर्थात अश्वत्थः (पीपल) पिचुमन्द (नीम) न्यग्रोधः(वटवृक्ष) चिञ्चिणी(इमली) कपित्थः (कविट कैथा) बिल्वः (बेल) आमलकः(आवला) आम्रः(आम)। जो कोई इन वृक्षों के पौधो का रोपण करेगा, उन की देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नहीं करना पड़ेंगे।
डॉ. अजय शुक्ला: नरक के दर्शन नहीं होंगे क्या मतलब?
विपुल जी: यह यहां पर वृक्षों की महत्ता को बताया गया है कि उनके लगाने से पर्यावरण का बचाव होगा और हमारे चारों ओर नारकीय वातावरण नहीं होगा। मतलब सूखा या और तबाही नहीं होगी।
डॉ. अजय शुक्ला: लेकिन आज का विज्ञान इस विषय में क्या कहता है?
विपुल जी: इसको यदि हम वृक्ष की उपयोगिता के क्रमांक में लिखें तो हम इसको समझ सकते हैं। आधुनिक विज्ञान वृक्षों की उपयोगिता को कार्बन डाइऑक्साइड की खपत और ऑक्सीजन की उपज के अनुरूप मानता है। सूर्य की रोशनी में वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड और वातावरण की नमी को लेकर क्लोरोफिल बनाते हैं और ऑक्सीजन को छोड़ते हैं।
यह पाया गया है। पीपल (100% क्षमता से कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)। नीम (80%) वटवृक्ष (80%) इमली (80%) कैथा(80%) बेल (85%) आवला* (74%)
आम (70% )। वही बहुत से पौधे और वृक्ष जैसे गुलमोहर , निलगिरी पर्यावरण के लिए घातक हैं।
डॉ. अजय शुक्ला पौधे भी पर्यावरण के घातक होते हैं? यह तो आश्चर्य है!
विपुल जी: जी यूकेलिप्टस ऐसे पौधे अपनी जड़ों के 2000 वर्ग मीटर के क्षेत्र का पानी सुखा देते हैं। लैंटेना कामारा एक पौधा होता है जो इसी प्रकार धरा का पानी नष्ट कर देता है। ऑस्ट्रेलियन वीड, एक घास 6 महीने में अपने से दुगने एरिया को बंजर बनाने के लिए पर्याप्त है। वहां पर कुछ और नहीं उगने देती यह घास। इसीलिए वृक्षों का चयन बहुत आवश्यक होता है। पश्चिमी देशों का अंधानुकरण कर हम ने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है। पीपल, बड और नीम जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ रही है। ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा के धरती के तापनाम को भी कम करते है।
सनातन में वृक्षों को पूजने की परंपरा को अन्धविश्वास मानकर पाश्चात्य संस्कृति के कारण इन वृक्षो से दूरी बना कर यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के वृक्ष सड़क के दोनों ओर लगाने की शुरूआत की। यूकेलिप्टस झट से बढ़ते है लेकिन ये वृक्ष दलदली जमीन को सुखाने के लिए लगाए जाते हैं। इन वृक्षों से धरती का जलस्तर घट जाता है। विगत ४० वर्षों में नीलगिरी के वृक्षों को बहुतायात में लगा कर पर्यावरण की हानि की गई है।
शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है। भगवान श्री कृष्ण ने भगवद्गीता में बोला है बृक्षों में मैं पीपल हूं। वही शास्त्र कहते हैं।
मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।
पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।
जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा जी तने पर श्री हरि विष्णु जी एवं शाखाओं पर देवादि देव महादेव भगवान शंकर जी का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर सभी देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा पीपल को नमस्कार है।
यदि आपको आने वाले समय में भीषण गर्मी से बचना है तो लगभग 200 मीटर के अंतर पर यदि एक एक पीपल, बड़, नीम आदि का वृक्षारोपण किया जाए। घरों में तुलसी के पौधे लगाना होंगे। हम अपने संगठित प्रयासों से ही अपने भारत को नैसर्गिक आपदा से बचा सकते हैं। भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही अभियान आरंभ करने की आवश्यकता है।
आइए हम पीपल , बड़, बेल, नीम, आंवला एवं आम आदि वृक्षों को लगा कर आने वाली पीढ़ी को निरोगी एवं सुजलां सुफलां पर्यावरण देने का प्रयत्न करें। इस सीख का अनुसरण न करने के कारण हमें आज इस परिस्थिति के स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं। अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं।
डॉ. अजय शुक्ला: आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर।
विपुल जी: बहुत-बहुत धन्यवाद आपका सदैव स्वागत है।
कुछ दोहे बहुत कुछ कहते हैं और यह नेट पर घूम भी रहे हैं मैं उनको शेयर करता हूं।
बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच।
घर घर नीम लगाइये,यही पुरातन साँच।।
यही पुरातन साँच,- आज सब मान रहे हैं।
भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं ।
विश्वताप मिट जाये होय हर जन मन गदगद।
धरती पर त्रिदेव हैं- नीम पीपल और बरगद।।