(www.arya-tv.com) मेडिकल के क्षेत्र में बेहतर करियर बनाने के लिए भारी संख्या में भारतीय छात्र विदेश जाते हैं। बैचलर मेडिकल प्रोग्राम MBBS डिग्री हासिल करके बेहतर डॉक्टर या सर्जन बनने के लिए छात्रों की पहली पसंद विदेशी मेडिकल कॉलेज ही होते हैं। पिछले कुछ समय में विदेश से एमबीबीएस करने वालों स्टूडेंट़स के लिए नियमों में बदलाव किए गए हैं।खासकर विदेश से एमबीबीएस करके भारत आने वाले स्टूडेंट्स के लिए।
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि एमबीबीएस स्टूडेंट्स के लिए कितने नियम बदले, विदेश में इसकी पढ़ाई करने पर क्या स्थानीय भाषा का आना जरूरी है और एमबीबीएस के लिए कौन से देश सबसे बेहतर हैं। जानिए इन सवालों के जवाब…
विदेश से MBBS करके भारत आने वालों के लिए क्या है नियम?
विदेश से मेडिकल कोर्स करके भारत आने वाले छात्रों के लिए पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस में कहा गया है कि मेडिकल कोर्स करके भारत आने वाले छात्रों को यहां भी कम से कम 12 महीने का इंटर्नशिप करना होगा।
दरअसल, पिछले साल यूक्रेन से भारत लौटने वाले भारतीय छात्रों को देश में पढ़ाई जारी रखने को लेकर जनहित याचिका दायर हुई थी।इसमें छात्रों ने दिल्ली हाईकोर्ट से अर्जी लगई थी कि उन्हें भारत में पढ़ाई जारी रखने की इजाजत दी जाए। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया था।
MBBS के लिए कौन सा देश बेस्ट?
जर्मनी: विदेश जाने वाले मेडिकल छात्रों की संख्या पर नजर डालें तो ज्यादातर छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए जर्मनी जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां की हीलबर्ग यूनिवर्सिटी और हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी सबसे ज्यादा मशहूर है। यहां से बेहद कम फीस में मेडिकल कोर्स कर सकेत हैं। यहां 4 से 6 लाख रुपए सालाना खर्च पर MBBS कर सकते हैं। NEET Score की मदद से छात्र यहां एडमिशन ले सकते हैं।
रूस: भारतीय छात्र भारी संख्या में मेडिकल की पढ़ाई के लिए रूस जाते हैं। यहां 6 साल में MBBS पूरा कर सकते हैं। MCI Regulation के तहत रूस से MBBS करने के लिए नीट स्कोर होना जरूरी है। कुर्स्क स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी छात्रों की पहली पसंद है। इसके अलावा बशखिर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में भी भारी संख्या में भारतीय छात्र एडमिशन लेते हैं।
फिलीपींस: साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक फिलीपींस में 15000 से ज्यादा भारतीय छात्र थे। यहां के मेडिकल कॉलेज में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) परीक्षा के माध्यम से एडमिशन मिलता है। यहां MBBS कोर्स 5.5 से 6.5 साल का है। इसमें एक साल का इंटर्नशिप भी शामिल होता है।
क्या लोकल भाषा की जानकारी जरूरी है?
एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए विदेश जाने की इच्छा रखने वाले छात्रों के मन में सवाल जरूर आता है कि वो जिस देश में पढ़ाई के लिए जाना चाहते हैं क्या वहां की स्थानीय भाषा की जानकारी जरूरी है? दरअसल, विदेशी कॉलेज में होने वाले मेडिकल कोर्स इंग्लिश में होते हैं। आपको इंग्लिश पर कमांड होना जरूरी है। इसके अलग आप अपनी इच्छा के अनुसार, स्थानीय भाषा सीख सकते हैं। कई कॉलेजों में छात्रों के लिए लैंग्वेज कोर्स भी कराए जाते हैं।