नेपाल से ग्राउंड रिपोर्ट:मरीज की मौत का इंतजार, ताकि बिस्तर मिल सके

Health /Sanitation International

(www.arya-tv.com)नेपाल की राजधानी काठमांडू सामान्य दिनों में पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में बागमती नदी के किनारे एक दिन में करीब दर्जन भर परिवार अपने प्रियजनों का दाह संस्कार करते हैं। लेकिन इन दिनों नजारा बिल्कुल अलग है। यहां पीपीई किट पहने सेना के जवान प्लास्टिक बैग में आ रहे सैकड़ों शवों के अंतिम संस्कार में जुटे हैं। शोकाकुल परिवार अंतिम विदाई के वक्त भी अपने परिजनों को चेहरा नहीं देख पा रहे हैं। बढ़ती मौतों के बीच इस तट पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए 51 नए प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं।

नेपाल कोविड की दूसरी लहर से जूझ रहा है और हालात भारत से भी बदतर हैं। स्थिति यह है कि भारत की सीमा से सटे हुए शुक्रराज हॉस्पिटल बुटबल भैरवा मरीजों और उनके परिजनों से यह तक लिखवा रहे हैं कि अगर ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरीज की मौत हो जाती है तो हॉस्पिटल जिम्मेदार नहीं होगा।

  • वैक्सीन की सप्लाई रुकने से भी दिक्कत। पहली डोज ले चुके लोगों को दूसरी डोज नहीं मिल पा रही।
  • विशेषज्ञ बोले- यहां सीमित टेस्टिंग और कमजोर डाटा प्रबंधन, इस वजह से स्थिति 5-10 गुना बदतर।
  • नेपाल में 10 लाख लोगों में 304 मरीज, भारत में यह 240 है। वहीं 100 टेस्ट में 45 संक्रमित, भारत में 23 है।
  • अस्पताल में बिस्तर पाने के लिए लोग मरीजों की मौत होने का इंतजार कर रहे।

चिंता: भारत ने कोविशील्ड दी, द. एशिया में टीकाकरण शुरू करने वाला दूसरा देश, पर अब हालात बिगड़ रहे
नेपाल दक्षिण एशिया में टीकाकरण अभियान शुरू करने वाला दूसरा देश बना। भारत ने दी कोविशील्ड की एक करोड़ खुराक से यह शुरू हुआ था। प्रधानमंत्री ओली ने कहा था कि हमने 3 महीने में सभी के वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है। इसके बाद भारत के सीरम इंस्टीट्यूट को 20 लाख डोज के ऑर्डर दिए थे, लेकिन 10 लाख डोज ही मिलीं। फरवरी में कोवैक्स को 22 लाख डोज का ऑर्डर दिया, तो सिर्फ 3.48 लाख डोज ही मिलीं। इससे वैक्सीनेशन प्लान फेल हो गया। 65 से ज्यादा उम्र के नेपालियों ने मार्च में कोविशील्ड की पहली डोज ली थी।

उम्मीद: भारत में पीक आने का इंतजार कर रहे, ताकि वहां संक्रमण घटने पर इन्हें वैक्सीन मिल सके
नेपाल के विशेषज्ञ भारत में पीक आने का इंतजार कर रहे हैं। वे स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि भारत में सक्रिय मामलों में चोटी का संकेत होगा कि नेपाल जल्द ही चरम पर पहुंच जाएगा। पहली लहर के दौरान भारत में पीक आने के कम से कम दो हफ्ते बाद नेपाल में पीक आया था। भारत में मामले घटने का अर्थ होगा कि वह नेपाल को फिर से वैक्सीन निर्यात कर सकेगा। चीन, अमेरिका और ईयू जरूरी दवाएं और उपकरण दे रहे हैं। हालांकि चीन और अमेरिका ने पर्याप्त वैक्सीन होने के बावजूद नेपाल को देने का कोई वादा नहीं किया है।