जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए हमले के तुरंत बाद नौसेना ने अपनी ताकत और रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए अरब सागर में पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाए रखा. नौसेना के प्रवक्ता ने रविवार को एक्स पर पोस्ट कर बताया कि पड़ोसी देश को सीजफायर के लिए मजबूर करने में नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद भारतीय नौसेना के कैरियर बैटल ग्रुप, सर्फेस फोर्सेज, पनडुब्बियों और विमानन परिसंपत्तियों को भारतीय रक्षा बलों की संयुक्त परिचालन योजना के अनुरूप पूरी युद्ध तत्परता के साथ तुरंत समुद्र में तैनात किया गया था. आतंकवादी हमले के 96 घंटे के भीतर भारतीय नौसेना ने अरब सागर में कई हथियारों की फायरिंग के दौरान समुद्र में रणनीति और प्रक्रियाओं का परीक्षण और परिशोधन किया, जिससे चालक दल, आयुध, उपकरण और प्लेटफॉर्म की तत्परता को फिर से सत्यापित किया जा सके ताकि चयनित लक्ष्यों पर सटीक रूप से विभिन्न आयुध पहुंचाया जा सके.
‘सिर्फ सरकार के हुक्म का इंतजार था’
वहीं, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुई प्रेस ब्रीफिंग में रविवार को नेवी के डायरेक्टर जनरल ऑफ नेवल ऑपरेशन (DGNO) वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद ने बताया कि नौसेना 9 मई की रात पाकिस्तान की समुद्री सरहद में घुसकर उनके सैन्य ठिकानों और कराची बंदरगाह जैसे बड़े ठिकानों को तबाह करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी. उन्होंने कहा कि नौसेना को सिर्फ सरकार के हुक्म का इंतजार था.
उन्होंने बताया कि नौसेना समुद्र और जमीन पर चुनिंदा लक्ष्यों पर हमला करने के लिए पूरी तत्परता और क्षमता के साथ एक निवारक मुद्रा में उत्तरी अरब सागर में आगे तैनात रही, जिससे पाकिस्तानी नौसेना और वायु इकाइयों को बंदरगाहों के अंदर या उनके तट के बहुत करीब रक्षात्मक मुद्रा में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. तनाव नियंत्रण तंत्र के एक भाग के रूप में नौसेना की तरफ से बल प्रयोग की योजना थल सेना और वायु सेना के साथ समन्वय में बनाई गई थी.
नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि सेना और वायु सेना की तरफ से की गई गतिशील कार्रवाइयों के साथ-साथ समुद्र में भारतीय नौसेना की जबरदस्त परिचालन क्षमता ने कल (शनिवार को) पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए तत्काल अनुरोध करने में योगदान दिया.