बहुत कम लोग जानते है यह बात, जाने राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के इतिहास के बारे में

Health /Sanitation

(www.arya-tv.com)  कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर वैक्सीनेशन के महत्व पर रौशनी डाली है। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से 26 लाख से ज़्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं। भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस आ रहा है और बिल्कुल सही समय पर आ रहा है। इस वक्त दुनिया के कई देशों सहित भारत में भी कोविड-19 वैक्सीनेशन ड्राइव जारी है।

इस मौके पर आइए जानें राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के इतिहास के बारे में: भारत में, हर साल 16 मार्च राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (नेशनल वैक्सीनेशन डे) के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पहली बार 16 मार्च, 1995 को मनाया गया था। इस दिन, भारत में साल 1995 में मुंह के ज़रिए पोलियो वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी।

भारत से पोलियो को जड़ ख़त्म करने का अभियान पल्स पोलियो कैम्पेन के ज़रिए सरकार द्वारा शुरू किया गया था। इस व्यापक कार्यक्रम के तहत, पोलियो वैक्सीन की 2 बूंदें, 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को दी गई थीं।

इसके बाद से कार्यक्रम, पोलियो के मामले धीरे-धीरे कम होते गए और आखिरकार रुक गए। 2014 में, भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया था। पिछले दो दशकों में, वैक्सीन ख़तरनाक बीमारियों से लड़ने में एक अभिन्न उपकरण बन गए हैं। इसकी वजह से टेटनस, पोलियो और टीबी जैसी अत्यधिक घातक बीमारियों से लाखों लोगों की जानें बची हैं।

इसका उद्देश्य सभी उम्र के लोगों को बीमारी से बचाने के लिए टीकों के उपयोग को बढ़ावा देना है। टीकाकरण से हर साल लाखों लोगों की जान बचाई जाती है।

साथ ही, वैश्विक रूप से दुनिया के सबसे सफल और लागत प्रभावी स्वास्थ्य बचाव कार्यों में से एक के रूप में पहचाना जाता है। जिसके बावजूद आज भी दुनिया में लगभग 2 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जो टीकाकरण से वंचित हैं। कहीं आपका बच्चा भी इससे वंचित न रह जाए इसलिए जान लें कौन सा टिका लगवाना बेहद जरुरी है।