(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए जोर आजमाइश शुरू हाे गई है। सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी पर जहां सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आरोप लगने लगे हैं वहीं, अलग-अलग जिलों में समाजवादी पार्टी और बसपा के संभावित प्रत्याशियों पर अपहरण और धमकाने के आरोप लग रहे हैं।
प्रदेश के 75 जिलों में होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सभी पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित करने शुरू कर दिए हैं। जुलाई के पहले सप्ताह में होने वाले इन चुनाव में 3050 जिला पंचायत सदस्य वोट डालेंगे। ऐसा माना जाता है कि इन चुनावों में जिसके जितने ज्यादा अध्यक्ष बनेंगे वह पार्टी जमीनी स्तर पर खुद को उतना ही मजबूत दिखाती है।
यूपी में सबसे ज्यादा निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीते हैं। प्रदेश में जहां सत्ताधारी दल जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोड़ तोड़ में जुट गई है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भी हर जोड़ तोड़ में लगी है। इसलिए निर्दलियों को लुभाने के लिए साम, दाम दंड का प्रयोग भी किया जा रहा है। कहीं कैश का ऑफर दिया जा रहा है तो कहीं गाड़ी और प्लाट का ऑफर दिया जा रहा है। यही नहीं जहां इससे काम नहीं बन रहा है वहां जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण तक किया जा रहा है। दैनिक भास्कर ने यूपी के जिलों का जायजा लिया तो चौंकाने वाले मामले सामने आए।
6 उदाहरण से समझिए…इस पावर गेम को
चित्रकूट: बीडीसी सदस्य का हुआ अपहरण
यहां मानिकपुर ब्लॉक में जिला पंचायत सदस्य गिरिजा देवी और उनके पति को सोमवार रात को अपहरण करने की कोशिश की गई। इस मामले में सपा समर्थित बीडीसी पर मामला भी दर्ज किया गया। हालांकि सपाइयों का कहना है कि भाजपा समर्थित बीडीसी के दबाव में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। बताया गया कि बीडीसी सदस्य हमारे साथ प्रचार के लिए जा रही थीं। जहां रास्ते में भाजपा समर्थकों ने उन्हें गाड़ी से उतारकर उनको धमकी दी है। गिरिजा देवी भी पुलिस अधीक्षक के सामने भाजपा समर्थित बीडीसी सदस्य पर ही आरोप लगाए हैं। हालांकि पुलिस ने इस मामले में सपा समर्थक अवधेश त्रिपाठी और बब्बू के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की रिपोर्ट दर्ज की है।
बागपत: पुलिस पर ही लगा बीडीसी सदस्य के अपहरण का आरोप
यूपी में सियासी दलों की पकड़ तभी मानी जाती है जब उसकी पकड़ गांव में हो। साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पॉवर का भी खूब इस्तेमाल होता है। इसकी बानगी बागपत में देखने को मिली। समाजवादी पार्टी ने बीते शनिवार को अपने सोशल मीडिया पेज पर एक वीडियो शेयर करते हुए आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष सपा समर्थित बीडीसी सदस्यों का अपहरण पुलिस द्वारा करवा रही है। वीडियो में कुछ पुलिसवाले 2 लोगों को खींच कर जबरदस्ती पुलिस जीप में बैठाने की कोशिश करते दिख रहे हैं।
कौशांबी: 20 साल पुराने मामले में रेड, ताकि सदस्य दबाव में आ जाए
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जैसे जैसे नजदीक आता जा रहा है। वैसे वैसे पॉवर गेम भी शुरू हो रहा है। कौशांबी में इसका उदाहरण भी देखने को मिला। आरोप है कि जिला पंचायत सदस्यों पर दबाव बनाने के लिए सत्ता पक्ष पुलिस का दुरुपयोग कर रहा है। कौशांबी के दो बीडीसी सदस्यों की तरफ से यह आरोप लगाया गया है। पहला मामला कड़ा प्रथम (वार्ड नंबर-07) का है। यहां से शेर मोहम्मद जिला पंचायत के निर्दलीय सदस्य निर्वाचित हुए हैं।
मंगलवार को शेर मोहम्मद की पत्नी ने सैनी कोतवाली पुलिस पर घर में घुसकर तोड़फोड़ और महिलाओ से बदसुलूकी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कोतवाली पुलिस 20 साल पुराने मामूली केस को आधार बना कर घर वालों पर दबाव बना रही है।
वहीं, नेवादा तृतीय (वार्ड नंबर-26) की सदस्य सायमा जिपं सदस्य निर्वाचित हुई है। बुधवार को राजस्व टीम उनके घर पहुंची। मकान के बड़े हिस्से को अवैध निर्माण बता कर उसे गिराने का नोटिस चस्पा कर गई। नोटिस में चायल के तहसीलदार अजय कुमार के हस्ताक्षर है। जिसमें तहसील प्रशासन ने मकान का अवैध हिस्सा तीन दिन हटाने का आदेश है।
जिला प्रशासन की कार्यवाही को देखते हुए कई जिला पंचायत सदस्य घर से बाहर अपना ठिकाना अज्ञात स्थान पर बनाये हुए है। पुलिस और प्रशासन की हर गतिविधि पर सदस्य के परिजन नजर गड़ाए हुए है। कई सदस्य बताते है, अचानक हो रही कार्यवाही सत्ताधारी के इशारे पर हो रही है। ताकि वह दबाव में आकर उसके पक्ष में वोट कर दें।