H3N2 इन्फ्लुएंजा: लखनऊ में विशेषज्ञ बोले- पैनिक न हो, बस अलर्ट रहें

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(www.arya-tv.com) यूपी में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस का खतरा मंडरा रहा है। KGMU में 15 मरीजों के सैंपल रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद हालात और बिगड़ने की आशंका है। वही, सरकारी अस्पतालों की OPD में बुखार और जुकाम के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि विशेषज्ञ पैनिक न होने की बात कह रहे है।

10 से 15 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव

KGMU के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हेड डॉ.अमिता जैन ने बताया कि लैब में तमाम जांच के अलावा H3N2 की जांच भी होती हैं। महीने भर में करीब 250 सैंपल की जांच होती है। इस बार लगभग 10 से 15 मरीज के सैंपल की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई हैं। यह कोई अलार्मिंग या पैनिक जैसी कंडीशन नही हैं। इन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी। एक से दो सप्ताह में मरीजों को बीमारी से निजात भी मिल रही हैं।

सबसे अहम बात मरीजों को पहले से सतर्कता बरतने को लेकर हैं। अगर पहले से मास्क और सैनीटाइजर का प्रयोग करेंगे तो इस वायरस से बचे रह सकते हैं। केंद्र की तरफ से एडवाइजरी भी जारी हो चुकी हैं और फिलहाल उत्तर प्रदेश में हालात नियंत्रण में दिखते हैं।

सरकारी अस्पतालों में नही H3N2 जांच की सुविधा

सरकारी अस्पतालों में इन्फ्लुएंजा H3N2 के लक्षणों वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। OPD में बड़ी संख्या में सर्दी-जुकाम, बुखार, गले में खराश, कमजोरी समेत दूसरी समस्या लेकर आ रहे हैं। डॉक्टर इन मरीजों को सलाह दे रहे हैं। हालांकि अभी जांच की सुविधा सिर्फ KGMU और SGPGI में ही उपलब्ध हैं। सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा मौजूद नही हैं।

1968 में पहली बार इंसानों में मिला था वायरस

H3N2 इंफ्लूएंजा ए, बी और सी इंसानों में फैलता है। हालांकि इंफ्लूएंजा ए-बी हर साल मौसमी महामारी के तौर पर फैलता है। अब इंफ्लूएंजा ए वायरस दो प्रोटीनों के आधार पर दो अलग टाइप में विभाजित होता है। यह दो प्रोटीन हैं।

हेमाग्लगुटिनिन और न्यूरोमिनिडेस के 18 अलग-अलग टाइप हैं, जिन्हें एच 1से 8 तक के क्रम में रखा गया है। पहली बार एच3एन2 वायरस इंसानों में वर्ष 1968 में पाया गया। डॉ. अर्जुन डांग के मुताबिक एच3एन2 वायरस के एक प्रकार का इंफ्लूएंजा- A है।

अगर नीचे लिखे लक्षण दिखें तो बिना देर किए अस्पताल में मरीज को भर्ती कराएं…

  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • ऑक्सीजन लेवल 93 से कम हो
  • छाती और पेट में दर्द और दबाब महसूस होना
  • बहुत ज्यादा उल्टी
  • मरीज कंफ्यूज रहे या उसे भ्रम होने लगे
  • मरीज के सिम्पटम्स में सुधार हो जाने के बाद बुखार और खांसी रिपीट होने लगे।

सर्दी-खांसी को ये लोग हल्के में न लें, H3N2 का हो सकता है रिस्क

  • बुजुर्ग
  • अस्थमा के मरीज
  • दिल की बीमारी या उससे रिलेटेड प्रॉब्लम है
  • किडनी प्रॉब्लम के मरीज
  • प्रेग्नेंट महिला
  • जिन लोगों की डायलिसिस चल रही है।

फिलहाल केस बढ़ रहे हैं इसलिए आज से ही ये प्रिकॉशन लें, कॉमनसेंस का इस्तेमाल करें..

  • कोई भी सिम्टम्स दिखें तो उसे नजरअंदाज न करें।
  • फ्लू शॉर्ट्स अमेरिका में लेने का ट्रेंड है। हमारे देश में भी यह अवेलेबल है लेकिन जानकारी के अभाव में हम लेते नहीं। इसे फौरन लें। खासकर अगर आपके घर में बुजुर्ग और बच्चे हैं तो उन्हें लगावाएं।
  • जो गलती आपने कर दी उसे न दोहराएं, यानी भीड़ वाली जगह पर बिना मास्क न जाएं। पार्टी, वैगराह पर जाने से बचें।

H3N2 वायरस से बचने के लिए करें ये 6 उपाय

  • अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोते रहें।
  • सेनिटाइजर साथ में रखें, और इसका इस्तेमाल करें।
  • जो व्यक्ति बीमार है उसके कॉन्टैक्ट में आने से बचें।
  • यदि आप छींक या खांस रहे हैं, अपना मुंह ढक लें क्योंकि वायरल इन्फेक्शन तेजी से फैलता है।
  • आंखों और चेहरे को बार-बार छुने से बचें।
  • भीड़ वाली जगह पर जा रहे हैं तो मास्क जरूर लगाएं।

H3N2 वायरस का इलाज क्या है?

  • खुद को हाइड्रेट रखें, लिक्विड पीते रहें।
  • बुखार, खांसी या सिरदर्द हने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
  • इन्फ्लूएंजा वायरस से बचने के लिए फ्लू शॉट्स लें।
  • बुखार, सर्दी-खांसी हाेने पर अपने मन से एंटीबायोटिक्स न लें।
  • घर के बाहर मास्क लगाकर रखें, भीड़ वाली जगह से बचें।