यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने, जानिए क्या प्रदेश मंत्री के बारे में

Prayagraj Zone

प्रयागराज (www.arya-tv.com) उत्‍तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह इन दिनों प्रयागराज प्रवास पर हैं। उन्‍होंने इंडियन चैंबर आफ कामर्स आर्गनाइजिंग एमएसएमई असिस्टेंट प्रोग्राम के तहत फाइलेंस एंड लाजिस्टिक विषय पर वर्चुअल संवाद किया। इसमें कहा कि राज्य में पारंपरिक उद्योगों का बढ़ावा देने के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना शुरू की है। ओडीओपी का उद्देश्य पूरे प्रदेश में प्रत्येक जिले में फैले स्थानीय कला, शिल्प और पारंपरिक कौशल को संरक्षित करना, विकसित करना और बढ़ावा देना है।

ओडीओपी योजना की मंत्री ने बताई विशेषता

मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि ओडीओपी योजना जिला स्तर पर रोजगार सृजन के माध्यम से प्रगति की एक नई गति की शुरुआत की है। ऐसा करके राज्य में एमएसएमई को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रही है। इसमें रोजगार और कौशल विकास के लिए एक प्रमुख गुणक प्रभाव उत्पन्न करने की वृहद क्षमता है। राज्य सरकार के विकास को अपने केंद्रीय विषय के रूप में विकसित करने के प्रयासों को बढ़ावा देने की है। यह योजना प्रधानमंत्री के आह्वान पर लोकल फॉर वोकल को देखते हुए स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहित करके आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को पूरी करने के लिए शुरू हुई है।

बोले- उत्तर भारत का ग्रेटर नोएडा सबसे बड़े उपरिकेंद्र के रूप में लॉजिस्टिक हब

उन्‍होंने कहा कि रणनीतिक रूप से पूर्व, पश्चिम और मध्य भारत तक पहुंच के लिए उत्तर भारत का ग्रेटर नोएडा सबसे बड़े उपरिकेंद्र के रूप में लॉजिस्टिक हब है। अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारे और दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे ग्रेटर नोएडा (दादरी) से गुजरता है। हाल ही में एक वैश्विक रिटेल दिग्गज ने आगरा में अपना नया वृद्धि ई-इंस्टीट्यूट शुरू किया है, जिसमें राज्य में छोटे-छोटे व्यवसायों के कौशल और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क तक पहुंच उपलब्ध कराया जा सके।

अगले पांच साल में 50 हजार एमएसएमई को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य

कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कार्यक्रम का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में 50,000 एमएसएमई को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। इससे उन्हेंं मजबूत घरेलू क्षमताओं के साथ सुसज्जित करने का है। इससे व्यवसाय एकीकृत हो कर खुद को बड़े वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में ढल सके। यह देखते हुए कि कार्यक्रम के तहत इकाइयों की प्रारंभिक संख्या उसकी तुलना में बहुत कम है।