संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन तय करें बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी – डॉ राजेश्वर सिंह

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(www.arya-tv.com) लखनऊ। हाल ही में बांगलादेश की अस्थायी सरकार ने शांति प्रिय, सांस्कृतिक और धार्मिक संगठनों जैसे इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) को निशाना बनाना शुरू कर दिया है, और इस से जुड़े धर्म गुरुओं के खिलाफ अनुचित कार्रवाई की है। इन घटनाओं में सबसे गंभीर मामला इस्कॉन के प्रमुख पुजारी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी है, जिन्हें संदिग्ध आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के विरुद्ध घटित हालिया घटनाओं पर सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने गहरी चिंता व्यक्त की है। विधायक ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, यह अत्याचार एक ऐसे आध्यात्मिक विभूति पर हुआ है जिसने अपनी पूरी जिंदगी शांति, अध्यात्मिकता और सामुदायिक सेवा में समर्पित कर दी है, यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
यह गिरफ्तारी बांगलादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बढ़ते धार्मिक उत्पीड़न का एक उदाहरण है। पिछले कुछ वर्षों में, हिंदू समुदाय को बढ़ती हिंसा, भेदभाव और व्यवस्थित उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। अनुमान के अनुसार, कम से कम 40 हिंदुओं की हत्या की गई है और 1,00,000 से अधिक हिंदू अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। मंदिरों, घरों और व्यवसायों को नष्ट किया गया है, और कई हिंदू धार्मिक नेताओं को धमकी और प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है। इस्कॉन पर हाल की कार्रवाई इस बढ़ती असहिष्णुता और भेदभाव के खतरनाक संकेतक के रूप में उभरी है।
बांग्लादेश सरकार की इन कार्रवाइयों ने न केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों के मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है, बल्कि यह शांति, सहिष्णुता और एकता के उन मूल्यों के खिलाफ भी है, जिनका दावा बांगलादेश करता है। इस्कॉन जैसे संगठन, जो शांति, सांस्कृतिक और धार्मिक समरसता के प्रचारक रहे हैं, उनका लक्ष्य केवल अच्छाई और सकारात्मकता फैलाना है। ऐसे संगठनों के खिलाफ यह हमले न केवल बांगलादेश में धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण हैं, बल्कि पूरे विश्व में धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता की अवमानना हैं।
डॉ. सिंह ने सभी राजनीतिक दलों, नेताओं और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों से आह्वान करते हुए आगे लिखा, नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों के प्रति समर्पित लोग, सभी राजनीतिक दलों, नेताओं, नागरिक समाज संगठनों, मानवाधिकार समूहों और सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से एकजुट होकर बांग्लादेश में हो रही इन घटनाओं की कड़ी निंदा करने का आह्वान किया।
सरोजनीनगर विधायक ने सभी राजनीतिक दलों के नेता से अनुरोध किया कि वे इन अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं। यह केवल धार्मिक स्वतंत्रता का सवाल नहीं है, बल्कि यह मानवाधिकारों की रक्षा का भी प्रश्न है। वैश्विक समुदाय को इस उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट होकर बोलना होगा, ताकि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जा सके।
विधायक ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ घटित हालिया घटनाओं के विरुद्ध एकजुटता का आह्वान करते हुए लिखा – 
1.स्वामी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी और इस्कॉन पर हो रही इन हमलावर कार्रवाइयों की सख्त निंदा की जाए।
2.बांगलादेश में हिंदू समुदाय के साथ एकजुटता दिखाई जाए, जो लगातार हिंसा, विस्थापन और उत्पीड़न का शिकार हो रहा है। उन्हें भयमुक्त, शांति से जीने का अधिकार है और इसे सम्मानित किया जाना चाहिए।
3.बांग्लादेश सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग की जाए कि उनके धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा हो, उनके पूजा स्थलों की रक्षा की जाए, और जो भी लोग हिंसा और उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए।
4.वैश्विक मानवाधिकार पहलों का समर्थन हो, जो बंगलादेश में धार्मिक उत्पीड़न को समाप्त करने की अपील करती हैं और बांग्लादेश से यह सुनिश्चित करने की मांग करती हैं कि वे अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करें और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें।
5.मीडिया, नागरिक समाज अभियानों और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाएं ताकि बांग्लादेश में उत्पीड़ित हिंदू समुदाय की पीड़ा नजरअंदाज न की जाए और न्याय की मांग की जा सके।
विधायक ने आगे लिखा, हम दृढ़ विश्वास रखते हैं कि अब वैश्विक समुदाय का मौन रहना अस्वीकार्य है। धार्मिक स्वतंत्रता एक बुनियादी मानवाधिकार है, और प्रत्येक लोकतांत्रिक राष्ट्र का यह कर्तव्य है कि वह धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठाए, चाहे वह कहीं भी हो।
विधायक ने हर राजनीतिक दल, नेता और संगठन से अपील करते हुए आगे लिखा : बांग्लादेश में और पूरी दुनिया मे, कि वे इन अत्याचारों की कड़ी निंदा करें और बांगलादेश सरकार से हिंदू और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा और उत्पीड़न को तुरंत रोकने की मांग करें। डॉ. सिंह ने संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से भी अपील की कि वे सामने आकर बांगलादेश सरकार से जिम्मेदारी तय करें और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाएं।