(www.arya-tv.com) अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने। उस वक्त भी यह सवाल खड़ा हुआ था कि बाइडन प्रशासन और भारत के बीच किस तरह के रिश्ते होंगे। यह बहस इसलिए भी अहम थी क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गहरी दोस्ती थी।
इस दोस्ती का लाभ अमेरिका और भारत के संबंधों में भी दिखा। इसलिए ट्रंप के हटने के बाद यह सवाल उठना लाजमी था कि क्या भारत-अमेरिका के संबंध पूर्व की तरह मधुर बने रहेंगे। आज जब बाइडन और मोदी की पहली मुलाकात हुई तो यह सवाल उठ रहे हैं। आखिर दोनों देशों के संबंधों की बुनियाद कहां हैं। क्या आज भारत अमेरिका की जरूरत है। कैसे रहेंगे अमेरिका और भारत के रिश्ते। आइए जानते हैं विशेषज्ञ की राय।
जानें क्या है वो पांच बिंदु
1- बाइडन के काम आएगा ओबामा के कार्यकाल का अनुभव
प्रो. पंत ने कहा कि भले ही राष्ट्रपति बाइडन व्यक्तिगत संबंधों को बढ़ाने के प्रति ज्यादा उत्सुक न हों, जिसे प्रधानमंत्री मोदी पसंद करते हैं। बाइडन दो देशों के संबंधों को ज्यादा तरजीह देते हैं। उनकी दृष्टि में सरकार का सरकार से संबंध ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि बाइडन को ओबामा के साथ दो बार उप राष्ट्रपति के रूप में काम करने का अनुभव रहा है। यह बाइडन को दुनिया भर में अपने सहयोगियों और अन्य देशों के साथ स्थिर और परिपक्व रिश्ते बनाने की क्षमता प्रदान करता है। ओबामा के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के मुधर संबंध रहे हैं। इसका प्रभाव बाइडन के कार्यकाल में दिखना शुरू हो गया है।
2- बाइडन युग में भी दोनों देशों के संबंधों में मधुरता कायम रहेगी
प्रो. पंत ने कहा कि अमेरिका के व्हाइट हाउस में दोनों नेताओं की मुलाकात जिस गर्मजोशी से हुई और जिन विषयों पर हुई, उससे यह बात प्रमाणित हो जाती है कि दोनों देशों के संबंधों में मधुरता कायम रहेगी। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की तरह बाइडन भी भारत में अनुच्छेद 370 हटाने, पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियां, चीन के मामले में और सुरक्षा जैसे कई मुद्दों पर भारत के साथ खड़े रहेंगे।
बाइडन अपनी नीतियों से यह लगातार संकेत दे रहे हैं कि चीन के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। हालांकि, चीन के प्रति बाइडन की नीति ट्रंप की तरह से आक्रामक नहीं है। ऐसे में यह उम्मीद की जा सकती है कि बाइडन भी अमेरिकी विदेश नीति के निर्धारित सिद्धांतों से विचलित नहीं होंगे।
3-अमेरिका ने माना, पाकिस्तान में आतंकवाद को पोषण
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के वक्त यह उम्मीद की जा रही थी कि बाइडन पाकिस्तान के साथ संबंधों को एक नया आयाम दे सकते हैं। लेकिन उनके शपथ लेने के नौ महीनों में इस विचार में काफी बदलाव आया है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पाक ने तालिबान को जिस तरह से मदद की है।
उससे पाकिस्तान बेनकाब हुआ है। भारत की यह बात सिद्ध हुई है कि पाकिस्तान में आतंकवाद का पोषण हो रहा है। ऐसे में यह उम्मीद की जा सकती है कि बाइडन प्रशासन पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बंद करने का दबाव डाल सकता है।