(www.arya-tv.com)बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में 9 फरवरी को पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर से अपशिष्ट पुनर्चक्रण एवं पर्यावरण प्रौद्योगिकी (Waste Recycling and Environmental Technology) पर आयोजित द्वि- दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का बेहतरीन समापन हुआ। आयोजन सचिव डॉ० जीवन सिंह ने बताया कि इस कांफ्रेंस में देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने भाग लेकर पोस्टर एवं पेपर प्रस्तुतिकरण दिया। समापन सत्र की अध्यक्षता डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो० एस. विक्टर बाबू ने की। इसके अतिरिक्त मंच पर आईक्यूएसी डायरेक्टर प्रो० राम चंद्रा, पृथ्वी एवं पर्यावरण विज्ञान विद्यापीठ के डीन प्रो० नवीन कुमार अरोरा, पर्यावरण विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रो० शिखा एवं आयोजन सचिव डॉ० जीवन सिंह मौजूद रहे। सर्वप्रथम प्रो० शिखा ने इस द्वि- दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया।
डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो० एस० विक्टर बाबू ने बताया कि अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से पर्यावरण को काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है। क्योंकि यह लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ – साथ प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण को रोकता है।
आईक्यूएसी डायरेक्टर प्रो० राम चंद्रा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन से न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी बल्कि कचरे का सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से निपटान करके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को भी कम किया जा सकता है।
प्रो० नवीन कुमार अरोरा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हमें इस प्रकार से सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करना होगा जिससे भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों की अनदेखी न करते हुए वर्तमान मांगों को पूरा किया जा सके। इसके अतिरिक्त प्रो० शिखा ने भी अपशिष्ट प्रबंधन के विभिन्न तरीकों की विस्तृत चर्चा की।
इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के दूसरे दिन विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा संबंधित विषयों पर व्याख्यान दिया गया। सर्वप्रथम क्वांगोन यूनिवर्सिटी, दक्षिणी कोरिया के प्रो० जगन्नाथ रेड्डी द्वारा सतत पर्यावरणीय उपचार के लिए कार्यात्मक ग्रेफाइटिक कार्बन-आधारित सामग्री ( Functional Graphitic Carbon-based Materials for Sustainable Environmental Remediation) विषय पर चर्चा की गयी। इसके अतिरिक्त उन्होंने जलीय घोलों से विभिन्न प्रदूषकों और तेलों को हटाने में इन संशोधित कार्बोनेसियस सामग्रियों के अनुप्रयोग की जानकारी दी। साथ ही प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, यूएसए डॉ० अजय नागपुरे द्वारा दिल्ली में अवैध रूप से डंप किए गए नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) की मात्रा और संरचना का आकलन करने के लिए एक नवीन पद्धति के अनावरण ( Unveiling a Novel Method for Assessing the Quantity and Composition of Illegally Dumped Municipal Solid Waste (MSW) in Delhi) विषय पर सभी प्रतिभागियों को संबोधित किया गया। उन्होंने अपने अध्ययन के नतीजे साझा किए और कहा कि तीन उच्च से मध्य-सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले पड़ोसी इलाकों में अवैध रूप से डंप किए गए अधिक निष्क्रिय (निर्माण अपशिष्ट) पाए गए।
इसके अतिरिक्त सीएसआईआर- सीमैप लखनऊ की डॉ० पूजा खरे पर्यावरणीय अनुप्रयोग के लिए बायोमास अपशिष्ट का बायोचार में मूल्यांकन ( Valorization of biomass waste into biochar for environmental application: A Win-Win Approach) विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि बायोचार में उच्च जल-धारण क्षमता होती है और इसका उपयोग पानी से प्रदूषकों को हटाने के लिए भी किया जा सकता है। इसके पश्चात बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के प्रो० योगेश चन्द्र शर्मा टिकाऊ अपशिष्ट जल उपचार ( Advanced in Water and Wastewater treatment) के लिए नैनो अवशोषक शीर्षक पर अपना कार्य प्रस्तुत किया।उन्होंने बताया कि दूषित अपशिष्ट जल से धातु हटाने में नैनो टेक्नोलॉजी की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि नैनो अधिशोषक में उच्च सतह क्षेत्र, उच्च अधिशोषण क्षमता और उत्प्रेरक क्षमता होती है, जिसका प्रयोग कार्बन नैनोट्यूब में धातु को हटाने के लिए किया जाता है जो निस्पंदन के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
कार्यक्रम के अंत में आयोजन समिति की ओर से सर्वश्रेष्ठ पेपर एवं पोस्टर प्रस्तुतिकरण पुरस्कार, युवा वैज्ञानिक एवं युवा महिला वैज्ञानिक पुरस्कार दिया गया। इस दौरान विभिन्न संकायों के कैम्टन डाॅ.राजश्री, डाॅ.सूफिया अहमद, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये प्रतिभागी , शोधार्थी एवं अन्य विद्यार्थी मौजूद रहे।