तुर्की में भूकंप की भविष्यवाणी की गई थी:नीदरलैंड के वैज्ञानिक ने दी थी चेतावनी

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(www.arya-tv.com) तुर्किये समेत चार देशों (लेबनान, सीरिया और इजराइल) में सोमवार सुबह 7.8 तीव्रता का भूकंप आया। इसके बाद एक और भूकंप आया। इसकी तीव्रता 7.6 थी। चारों देशों में कुल मिलाकर 3700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा नुकसान तुर्किये में हुआ। यहां 2300 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने तुर्किये को जल्द से जल्द राहत भेजने का भरोसा दिलाया है। सीरिया में 1444 लोगों की मौत हुई है।

इस बीच, नीदरलैंड के साइंटिस्ट फ्रेंक होगरबीट्स का 3 फरवरी को किया एक ट्वीट वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने लिखा था-साउथ सेंट्रल तुर्किये, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान में 7.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है।

कौन हैं फ्रेंक होगरबीट्स?

फ्रेंक होगरबीट्स मूल रूप से नीदरलैंड्स के रहने वाले हैं। वो सोलर सिस्टम जियोमेट्री सर्वे (SSGEOS) नाम के एक जियोलॉजिकल इंस्टीट्यूट में सीनियर रिसर्चर हैं। SSGEOS जमीन के अंदर होने वाली हलचल पर खासतौर से रिसर्च करता है। इसके चलते ही भूकंप और सुनामी जैसी नेचुरल डिजास्टर यानी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं।

3 फरवरी को फ्रेंक ने जो ट्वीट किया और जो अब वायरल हो रहा है, उसमें इस साइंटिस्ट ने कहा था- आज नहीं तो कल, लेकिन जल्द 7.5 तीव्रता का भूकंप इस क्षेत्र में आने वाला है। इससे साउथ-सेंट्रल तुर्किये, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान प्रभावित होंगे।

हर बात सही साबित नहीं हुई
सोमवार को जब फ्रेंक का ट्वीट वायरल हुआ तो इसी सेक्टर से जुड़े एक और साइंटिस्ट ने कहा- यह साइंटिस्ट यानी फ्रेंक होगरबीट्स चंद्रमा और ग्रहों को आधार बनाकर भविष्यवाणी करते हैं। कई बार उनका प्रिडिक्शन गलत भी साबित हुआ है। हां, ये बात जरूर है कि सोमवार को तुर्किये और सीरिया बॉर्डर पर जो भूकंप आया, उसमें फ्रेंक की बात बिल्कुल सही साबित हुई।

खास बात यह भी है कि फ्रेंक ने सोमवार को फिर कहा कि इतने बड़े भूकंप के बाद जो आफ्टर शॉक्स (बड़े भूकंप के बाद आने वाले कम तीव्रता के झटके) आएंगे वो 4 से 5 तीव्रता के होंगे। उनकी यह बात भी सटीक साबित हुई। खुद तुर्किये सरकार ने माना है कि इसी तीव्रता के 78 आफ्टर शॉक्स आ चुके हैं।

अब बर्फबारी मुसीबत
तुर्किये के कई इलाकों में पारा शून्य से नीचे चला गया है और यहां कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। एयरपोर्ट के रनवे डैमेज हो चुके हैं। लिहाजा, तुर्किये सरकार और दुनिया के कई देशों के लिए यहां राहत सामग्री भेजना भी मुश्किल हो रहा है।

जब भूकंप आया तो उस वक्त भी तुर्किये के कई हिस्सों में जबरदस्त बर्फबारी हो रही थी। इसके बाद फौरन बारिश भी शुरू हो गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, विजिबिलिटी कम होने की वजह से मिलिट्री एयरक्राफ्ट को भी टेकऑफ करने में दिक्कत हो रही है। अब सरकार रिलीफ मटेरियल ड्रॉप-इन सिस्टम अपनाने पर विचार कर रही है। इसके तहत एयरक्राफ्ट या हेलिकॉप्टर्स से जरूरी राहत सामग्री सीधे प्रभावित इलाकों में कम ऊंचाई से गिराई जाएगी और नीचे मौजूद अमला इसे कलेक्ट करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाएगा।

इन शहरों में हुई सबसे ज्यादा तबाही
अंकारा, गाजियांटेप, कहरामनमारस, डियर्बकिर, मालट्या, नूरदगी समेत 10 शहरों में भारी तबाही हुई। यहां 1,710 से ज्यादा बिल्डिंग गिरने की खबर है। कई लोग मलबे के नीचे दबे हैं। लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। कई इलाकों में इमरजेंसी लागू कर दी गई है।

10 हजार मौतों की आशंका
उधर, यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने चौंकाने वाली बात कही है। इसके आंकड़ों के मुताबिक तुर्कीये में मरने वालों की संख्या एक हजार हो गई है। यह संख्या 10 हजार तक पहुंच सकती है।
USGS ने इसके पीछे तर्क दिया कि 1939 में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। तब 30 हजार लोगों की मौत हुई थी। वहीं, 1999 में 7.2 तीव्रता का भूकंप आया था, तब 845 लोगों की जान गई थी।