दिल्ली एम्स में इलाज बेहद मुश्किल, सुविधाएं बढ़ाए सरकार… कांग्रेस सांसद ने दिए ये सुझाव

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(www.arya-tv.com) देश की राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स (AIIMS) में इलाज करवाना लोहे के चने चबाने जैसा है। भीड़ इतनी कि नंबर मिलना ही मुश्किल होता है।

अगर इमर्जेंसी हो तब तो मरीजों की जान पर संकट आ जाती है और परिजनों का दम निकल रहा होता है। मध्य प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने आज संसद में यह मुद्दा उठाया।

उन्होंने दिल्ली एम्स में इलाज करवाने को आने वाले मरीजों और उनके परिजनों की मुसीबतें कम करने के लिए कुछ सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि सरकार को जरूरतों के मुताबिक एम्स में सुविधाएं बढ़ानी चाहिए।

सांसद विवेक तन्खा ने कहा, ‘क्या एम्स आने वाले कुछ मरीजों को इसी लेवल के इलाज के लिए कहीं और भेज सकते हैं? इसकी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।।’ उन्होंने इमर्जेंसी रजिस्ट्रेशन की मुसीबतों का भी जिक्र किया।

कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘ऑनलाइन फैसिलिटी रखी है इमर्जेंसी रजिस्ट्रेशन के लिए। बीमारी की पूरी गंभीरता ऑनलाइन में अच्छी तरह बता नहीं सकते तो डॉक्टर को भी अच्छे से आभास नहीं होता कि 250 पेंशेंट्स में किसे चुनें।’

तन्खा ने बताया कि एम्स के डॉक्टरों का रिटायरमेंट एज 65 से 70 वर्ष की जाए, इसका प्रस्ताव पीएमओ के पास है। उन्होंने कहा कि एम्स के डॉक्टरों की प्राइवेट अस्पतालों में बड़ी मांग होती है।

रिटायर हों या नौकरी में, प्राइवेट अस्पताल एम्स के डॉक्टरों को भारी-भरकम पैकेज ऑफर करते हैं। ऐसे में देश की भलाई इसी में है कि एम्स डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई जाए।

ध्यान रहे कि करीब डेढ़ करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरत से बहुत कम है। इसका असर अस्पतालों में भीड़-भाड़ से लगाया जा सकता है।शायद ही कोई परिवार हो जिसे एम्स जैसे बड़े और प्रतिष्ठित सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए कड़ी मशक्कत नहीं करनी पड़ी हो।

तन्खा ने कहा भी कि हर कोई महंगे प्राइवेट अस्पतालों में इलाज का खर्च नहीं उठा सकते, इसलिए सरकारी अस्पतालों की सुविधाएं दुरुस्त करनी ही होगी।सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था के दंश में ही 14 वर्ष की एक मासूम की जान चली गई। बीते सोमवार रात को दर्द से तड़प रही उस बच्ची का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इसके बाद उसे एम्स की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, लेकिन बच्ची को बचाया नहीं जा सका। दिल्ली के तिमारपुर की रहने वाली बच्ची की मां रजिया 10 दिनों तक उसे लेकर दिल्ली के अस्पतालों का चक्कर लगाती रही, लेकिन उसे कहीं बेड नहीं मिल रहा था।

वायरल वीडियो में बच्ची बोल रही थी, ‘बार-बार बोलते हैं कि बेड नहीं है। जब इंसान मर जाएगा तब बेड देंगे क्या… मेरी पढ़ाई भी खराब हो गई है एक साल से।’ आखिरकार उस बच्ची को नहीं बचाया जा सका।