- विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत
पिछले दिनों aryatv.com ने शेयर द्वारा फायदे के लालच में ऑनलाइन ठगी के मामले समाचार के माध्यम से उठाए थे। लेकिन उसे समाचार का उन निवेशकों पर जो लालची है कोई असर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है।
आईआईएफएल के सीनियर मैनेजर अमित यादव के अनुसार पिछले दिनों मुंबई निवासी उनके एक क्लाइंट जिनका उपनाम श्रीमती शाह (पूरा नाम नहीं लिखा है) ने फेसबुक के माध्यम से एक ग्रुप ज्वाइन किया और फिर वह व्हाट्सएप ग्रुप में चली गई। उसे ग्रुप की एक महिला का फोन आया कि हम फलां फलां ग्रुप से बोल रहे हैं आप हमारे सदस्य हैं इस कारण हम आपका फायदा करना चाहते हैं हम आपको एक शेयर का नाम बताने वाले हैं जो भविष्य में बहुत अधिक बढ़ जाएगा। लालच में आकर श्रीमती शाह ने अपना पासवर्ड भी उनको दे दिया। उनके सारे शेयर जो 18 लाख के लगभग थे उनको बेच दिया गया और उनके बदले में उनको उत्तर प्रदेश की एक आर्गेनिक कंपनी के शेयर खरीद दिए गए जिनका मूल्य 78 रुपए था। बाद में वह शेयर लोअर सर्किट में गिरना चालू हो गया और वर्तमान में ₹37 के आसपास अटका हुआ है उसकी तो ट्रेडिंग भी नहीं हो रही है। उसकी वेबसाइट पर कोई जानकारी नहीं। और तो और वह शेयर तो अब ट्रेड ही नहीं होता।
आप जरा यह सोचिए जब आपको ₹50 की भाजी भी खरीदनी है तो उसको छांट कर लेते है लेकिन जब आपके पैसे का मामला होता है वह भी शेयर मार्केट में तो आप किसी मूर्ख की भांति उस पर यकीन कर लेते हैं। होता यह है इस तरह के लालची जाल में फंस जाते हैं और ठग लोग डूबी हुई कंपनियों से संपर्क करते हैं उनसे अच्छी खासी कमीशन लेकर उनके शेयर को बिकवा देते हैं। जिससे कि निवेशक का पैसा डूब जाता है और उसका एक बड़ा कमीशन इन ठग लोगों को मिल जाता है।
यह ठग पूरा एक ग्रुप बनाकर चलते हैं। एक उनका लीडर होता है जिसका नाम किसी बड़े बिजनेसमैन के सरनेम का होता है जैसे अंबानी अडानी डालमिया इत्यादि। यह लोग फर्जी वेबसाइट बनाते हैं अपनी विभिन्न प्रकार की फोटो जो इनकी नहीं होती उसको भी डालते रहते हैं। लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए तो यह बहुत बड़ी गलती करते हैं कुछ ना कुछ ऐसा छोड़ जाते हैं जो एक समझदार व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से पकड़ लेता है। जैसे एक ग्रुप जिसके इंचार्ज का सरनेम अंबानी है। उसकी बड़ी ऊंची ऊंची बातें होती है और वह क्या लिखता है कि वह ICICI सिक्योरिटीज का इंटरनेशनल ऑफिसर है और सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन ऑफ़ इंडिया से एप्रूव्ड है। जबकि भारत में इसका नाम सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया है। कोई भी समझदार समझ सकता है यह झूठ बोल रहा है। ICICI की वेबसाइट पर ऐसे किसी भी व्यक्ति का नाम कहीं पर नहीं आता। ऐसे ही एक अन्य सज्जन की एक शेयर मार्केट की ट्रेनिंग देने वाली कंपनी की प्रोफाइल खोली उसमें सबसे ऊपर अपनी फोटो लगा दी। लेकिन जब उस कंपनी को सर्च करके उनकी वेबसाइट पर गए तो उनका नाम ही नहीं था।
आजकल फेसबुक पर विभिन्न प्रकार के ग्रुप बड़े-बड़े उद्योगपतियों के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा अपने ग्रुप का प्रचार कर रहे हैं आप यदि उसे ग्रुप में जाते हैं तो वह सीधे आपको व्हाट्सएप पर ले जाएंगे और फिर आपको शेयर मार्केट में प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट का लालच दिखाकर विभिन्न प्रकार की पोस्टों द्वारा लुभाया जाएगा। एक बार आप के द्वारा एक बड़ी धनराशि उनके अकाउंट में पहुंच गयी तो आप निश्चित रूप से ठगी का शिकार होंगे। ऐसे ठगी के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जाते हैं।
ऐसे ही बरेली के एक निवेशक सुबीर सेन का फोन आया उन्होंने बताया कि उसने ₹10000 ऐसी ग्रुप में लगाए थे बाद में वह जब 35000 हो गए तो उसने पैसे वापस कर लिए दोबारा फिर उसने जब ₹10000 डालें तो वह कंपनी गायब हो गई। लेकिन सुबीर को तो 15000 का फायदा हो गया।
मैं समझता हूं भारत की साइबर सिक्योरिटी में अधिकारियों की संख्या बढ़ाई जाए और इस तरह के कंपनियों में गुप्त रूप से सदस्य बनाकर उनको बेनकाब किया जाए जिससे कि आम आदमी का पैसा बच सके। लेकिन भारत का कानून बहुत लाचर है वह अपराध होने के बाद ही सक्रिय हो सकता है। और दूसरी बात यह भी है की इतनी बड़ी जनसंख्या में अपराध रोकने के लिए पुलिस इत्यादि की संख्या बहुत कम है।