प्रयागराज (www.arya-tv.com) जेल का नाम सुनते ही खौफनाक तस्वीरें जेहन में तैरने लगती हैं। अपराध कारित करने वाले सजायाफ्ता मुजरिम यहां पर कैद रहते हैं लेकिन यदि अपने में बदलाव करें तो यहां से जिंदगी की नई शुरूआत भी की जा सकती है। केंद्रीय कारागार नैनी में ऐसा ही कुछ हो रहा है जिससे बंदियों के लिए जेल केवल सजा काटने की जगह न होकर हुनरमंद बनाने की जगह बन गई है। इस जेल के बंदियों ने कोरोना संक्रमण काल में एक करोड़ रुपये से अधिक के फर्नीचर बना डाले, आपको भी फर्नीचर बनवाने हों तो जेल प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं।
जेल की कार्यशाला में बंदियों को बनाया जा रहा हुनरमंद
केंद्रीय कारागार नैनी में कैद बंदियों को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए हुनरमंद बनाया जा रहा है। उनको घरों और कार्यालयों में उपयोग की जाने वाली विविध वस्तुओं का निर्माण करना सिखाया जाता है। जेल की कार्यशाला में बंदी पुनर्वास योजना के तहत बंदियों को विविध उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करने का प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें लकड़ी की कंघी, कटोरी, खिलौने और फर्नीचर के अलावा लोहे का फावड़ा, खुरपी, चाकू, तसले, लॉकर आदि के निर्माण शामिल हैं। इसके अलावा यहां कंबल, कारपेट और साबुन आदि को बनाने का गुर भी सिखाया जाता है।
कोरोना संक्रमणकाल में बना डाले एक करोड़ के फर्नीचर
प्रवर जेल अधीक्षक प्रेमनाथ पांडेय के अनुसार कोरोना संक्रमण काल में जब दुनिया में निराशा का वातावरण था, पूरे देश में आर्थिक गतिविधियां ठप थीं तो यहां के बंदियों ने कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के फर्नीचर बना डाले। जिनको इस्तेमाल के लिए हाईकोर्ट के अलावा प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों और जेलों में भेजा गया है।
फर्नीचर बनवाने को जेल प्रशासन से करना होगा संपर्क
बंदियों से कोई भी अपने फर्नीचर बनवा सकता है। इसके लिए केवल जेल प्रशासन से संपर्क करना होगा। फर्नीचर की डिजाइन बताने के साथ निर्माण की रकम भी पहले देनी होगी। अपनी मनचाही लकड़ी भी दे सकते हैं। प्रवर जेल अधीक्षक ने बताया कि बंदियों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से आमजन के लिए यह व्यवस्था दी जा रही है। बंदियों द्वारा तैयार किए गए फर्नीचर को अब बाजार में भी उतारा जाएगा। पहले प्रदर्शनी आदि लगाई जाती थी लेकिन अब व्यापारियों को फर्नीचर की सीधे आपूर्ति की जाएगी।
बंदी बनाते हैं जजों के बैठने के लिए बड़ी कुर्सियां
नैनी जेल में ही प्रदेश के अधीनस्थ व उच्च न्यायालय के जजों के बैठने के लिए गवर्नर चेयर का भी निर्माण होता है। जिला न्यायालयों के लिए फर्नीचर की आपूर्ति भी यहां से की जाती है। नए बंदियों को भी यहां पर हुनरमंद बनाया जा रहा है। जेल की कार्यशाला में आमतौर पर सजा प्राप्त बंदियों से ही काम कराया जाता है किंतु नए बंदी भी यदि काम सीखना चाहते हैं तो वह भी कार्यशाला में आकर सीख सकते हैं।