अयोध्या से लेकर चित्रकूट तक 210 किमी. वनगमन मार्ग हो रहा तैयार

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(www.arya-tv.com) अयोध्या में एक तरफ भव्य राम मंदिर बन रहा है, तो दूसरी तरफ इससे जुड़े स्थलों को भी राम नगरी से जोड़ा जा रहा है। केंद्र और यूपी सरकार की कई योजनाओं से धार्मिक स्थलों का विकास किया जा रहा है। इसमें राम जानकी मार्ग, राम गमन मार्ग, रामायण सर्किट, पांच कोसी, चौदह कोसी, चौरासी कोसी शामिल है। इसके साथ प्रभु राम से जुड़े रामायण कालीन स्थानों का भी कायाकल्प किया जा रहा है।

भगवान राम इसी रास्ते वनवास गए थे
यूपी सरकार और केंद्र सरकार अयोध्या से चित्रकूट को जोड़ने के लिए वनगमन मार्ग का निर्माण करा रही है। 210 किमी लंबे मार्ग का निर्माण 4550 करोड़ रुपए से किया जा रहा है। जमीन अधिग्रहण का काम शुरू हो गया है। लोक निर्माण विभाग का नेशनल हाईवे खंड इसका निर्माण करेगा।

यह अयोध्या से शुरू होकर सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, श्रृंगवेरपुर धाम, मंझनपुर, राजापुर होते हुए चित्रकूट तक जाएगा। रास्ते में पड़ने वाले रामायण कालीन भरतकुंड, सीताकुंड, श्रृंगवेरपुर धाम समेत इन मार्ग पर रामायण काल से जुड़े स्थलों का भी विकास पर्यटन विभाग की तरफ से किया जा रहा है। अयोध्या के नाका हनुमान गढ़ी के महंत राम दास ने बताया कि भगवान राम अयोध्या से इसी मार्ग से होते हुए वनवास को गए हैं। निर्माण से भगवान से जुड़ी यादें ताजा होंगी।

श्रृंगवेरपुर धामराम-

जानकी पथ के पहले चरण का निर्माण कार्य शुरू
उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल को जोड़ने वाला राम-जानकी पथ के पहले चरण का निर्माण शुरू हो गया है। राम नगरी से नेपाल तक करीब 240 किलोमीटर लंबे इस सड़क का निर्माण चार लेन में किया जाएगा। इस लेन के बनने के बाद अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा के लिए एक और मार्ग मिल जाएगा। राम-जानकी मार्ग के पहले चरण में राज्य के सिवान से मशरख तक कुल 50 किमी लंबाई की चार लेन की सड़क बनेगी। जिसका काम शुरू हो गया है।

84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर 50 रामायण कालीन धर्मिक स्थलों का होगा विकास
84 कोसी परिधि में रामायण कालीन कई धार्मिक स्थल है। रामनगरी की 84 कोस की परिधि में गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि व उनके गुरु नरहरिदास की कुटी पड़ती है। इसके साथ ही अष्टावक्र मुनि, जमदग्नि आश्रम, श्रृंगीऋषि आश्रम, आस्तीक ऋषि आश्रम, कपिलमुनि आश्रम, च्यवन मुनि आश्रम पड़ता है।

मखभूमि, सूर्यकुंड, सीताकुंड, रामरेखा, जनमेजयकुंड आदि पौराणिक स्थल हैं। 84 कोसी मार्ग के आसपास ही ऋषि पराशर, गौतम, अगस्त, वामदेव आश्रम आदि अनेक ऐसे दिग्गज ऋषियों के आश्रम हैं, जिन्होंने संस्कार, संस्कृति और अध्यात्म का ज्ञान दिया।

इसके साथ ही दशरथ समाधि स्थल, गौराघाट, दुग्धेश्वर कुंड, नंदीग्राम भरतकुंड,पिचाशमोचन कुंड, तपस्थली समेत जैसे श्रेष्ठ मुनियों की तपस्थलियां भी पड़ती हैं। प्रदेश सरकार 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के साथ यहां के स्थलों को विकसित करने की योजना तैयार कर रही है।