राज्यपाल और मेयर ने सड़क का उद्घाटन किया:सड़क का नामकरण गुरू गोविंद सिंह के नाम पर किया

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(www.arya-tv.com)राजधानी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यालय ‘भारती भवन’ को जोड़ने वाली सड़क पर बने मुख्य द्वार का नाम गुरू गोविंद सिंह कर दिया गया है। मंगलवार को इसका उद्घाटन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और महापौर संयुक्ता भाटिया ने किया।

इस मौके पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि गुरू नानक देव की शिक्षाएं पहले जितनी प्रासंगिक थीं, उतनी आज भी प्रासंगिक हैं। इन्हें लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है। जिससे कि सभी लोग इनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर सत्य, प्रेम, अहिंसा, शांति, एकता और सद्भाव के रास्ते पर चल कर देश को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग दे सकेंगे।

विश्व गुरु बन सकता भारत

उन्होंने कहा कि महापुरूषों की शिक्षाओं पर ही चलकर हमारा देश एक बार फिर विश्व गुरू बन सकता है। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक द्वार के लोकार्पण का अवसर उनको मिला है, वह खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहीं हैं। राज्यपाल ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के आदर्श शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार और सिख परम्परा को आगे बढ़ाने की दिशा में गुरु अंगद देव, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जुन देव, गुरु हरि गोविन्द साहब, गुरु हरि राय, गुरु हरि कृष्ण, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविन्द सिंह ने बड़ा महान कार्य किया है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर सिंह एक क्रान्तिकारी युग पुरूष थे। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि गुरू गोविंद सिंह एक महान योद्धा के साथ ही एक कवि और आध्यात्मिक व्यक्ति थे।

धर्म और राष्ट्र की रक्षा सबसे ऊपर

महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि सिख पंथ के गुरूओं की ओर से स्थापित परम्परा के तत्व को ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी निर्वहन कर रहा है। धर्म और राष्ट्र रक्षा ही सर्वोपरि है। इन महापुरूषों के प्रति समाज आज भी कर्जदार है। कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की आत्मा है। महापौर ने कहा कि राष्ट्र रक्षा और धर्म की रक्षा में सिख समाज हमेशा सबसे आगे रहा है। सिख समाज दुनिया का ऐसा समाज है जो दूसरों की रक्षा के लिए अपने प्राण तक दे सकता है। जब बाबर के अत्याचार से धरती कांप रही थी, तब गुरु नानक ने उसकी बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी, नानक देव से लेकर गुरु गोबिंद सिंह जी तक सभी गुरुओं ने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए समाज को तैयार किया और बलिदान की परंपरा को निर्वहन किया। यह गुरु कृपा ही है कि कोई भी सिख कभी सिर नहीं झुकाता।