श्रीराम मन्दिर की निर्माण की प्रक्रिया राष्ट्र को जोड़ने का महोत्सव है : प्रधानमंत्री

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(www.arya-tv.com)प्रधानमंत्री  ने कहा कि श्रीराम मन्दिर की निर्माण की प्रक्रिया राष्ट्र को जोड़ने का महोत्सव है। भारत आज भगवान भाष्कर के सानिध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है। कन्याकुमारी से क्षीर भवानी तक, कोटेश्वर से कामाख्या तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, समेतशिखर से श्रवणबेलगोला तक, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर साहब से पटना साहिब तक, अण्डमान से अजमेर तक, लक्षदीप से लेह तक आज पूरा भारत राममय है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के लोगों के सहयोग से राम मन्दिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, जैसे पत्थर पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बना, वैसे ही घर-घर से आई शिलाएं श्रद्धा का स्त्रोत बन गई हैं। ये न भूतो-न भविष्यति है। उन्होंने कहा कि भारत के आस्था और सामूहिकता की अमोघ शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन और शोध का विषय है। श्रीराम का चरित्र सत्य पर अडिगता का प्रतीक है। श्रीराम सम्पूर्ण हैं। हम सबके प्रकाष स्तम्भ हैं। श्रीराम ने सामाजिक समरसता को शासन की आधारषिला बनाया। उन्होंने प्रजा से एक समान प्रेम किया। गरीबों और दीन-दुखियों पर विशेष कृपा की। जीवन का कोई ऐसा पहलू नहीं है, जहां श्रीराम प्रेरणा न देते हों। आस्था में राम हैं, आदर्षों में राम हैं, दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्षन में राम हैं। बापू के भजनों में भी राम हैं। तुलसी के राम सगुण, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण हैं। राम किसी न किसी रूप में रचे-बसे हैं। राम सबके है, सबमें राम हैं।