गुजरात की रहने वाली तन्वी बेन ने पति के साथ छोड़ी नौकरी और करने लगी खेती, मधुमक्खियों ने बना दिया लखपति

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(www.arya-tv.com) गुजरात के पाटण में रहनेवाली तन्वी बेन और उनके पति हिमांशु पटेल प्राइवेट जॉब कर रहे थे। लेकिन चार साल पहले इस जोड़ी ने नौकरी छोड़, खेती करने का फैसला किया और फिलहाल, वे अपनी 70 बीघा में से पांच बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने दायरे को बढ़ाते हुए डेयरी फार्मिंग से लेकर मधुमक्खी पालन तक को अपनाया है और आज काफी अच्छी कमाई कर रहे हैं।

तन्वी बेन बताती है कि मैंने बीएड की है और मेरे पति हिमांशु ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की नौकरी करते थे। 10 सालों तक प्राइवेट जॉब की। लेकिन, देश में ऑर्गेनिक फार्मिंग के बढ़ते ट्रेंड को देखते हुए, हमें ख्याल आया कि क्यों न अपनी थोड़ी सी जमीन पर खेती में हाथ आजमाया जाए?

तन्वी बताया कि उनका परिवार काफी पहले से खेती से जुड़ा था, लेकिन वे इसे बिजनेस के लिहाज से नहीं कर रहे थे। वे पहले पारंपरिक खेती करते थे, जिससे खाने-पीने के लिए बाजार पर निर्भरता खत्म हो जाती थी। लेकिन, 2017 में तन्वी ने अपने पति के साथ नौकरी छोड़, प्राकृतिक खेती को अपनाया और धीरे-धीरे अपने डेयरी फार्म को भी विकसित किया। आज उनके पास 25 देसी गायें हैं।

खेती में दिक्कत आने पर शुरू किया मधुमक्खी पालन
सबकुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन कुछ समय बाद, तन्वी को खेती में थोड़ी दिक्कत होने लगी। दरअसल, फसलों में कोई केमिकल कीटनाशक न इस्तेमाल करने के कारण, उनके लिए कीड़ों को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा था। इसी दौरान, उन्हें पता चला कि खेतों में मधुमक्खी पालन किया जाए, तो फसलों को कीड़ों से बचाया जा सकता है। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने मधुमक्खी पालन शुरू किया और शुरुआती दिनों में ही शहद का उत्पादन काफी अच्छा हुआ।

तन्वी के अनुसार, फसल पर कीड़े लगना बंद होने के कारण, उन्हें खेती में भी डेढ़ गुना अधिक फायदा हो रहा है। तन्वी ने मधुमक्खी पालन की शुरुआती ट्रेनिंग खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन अहमदाबाद से ली है और दो बॉक्स के साथ अपना पहला कदम बढ़ाया। फिर, बेहतर नतीजे देख, उन्होंने करीब चार लाख की लागत से सौ बॉक्स खरीदे। इससे उन्हें करीब पांच लाख की कमाई हुई।

आज तन्वी ‘स्वाद्य’ नाम से अपना एक ब्रांड चला रही हैं और अपने उत्पादों को सोशल मीडिया के जरिए बेचती हैं। उन्होंने अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कई स्थानीय दुकानों को भी टारगेट किया है। उनके पास फिलहाल 300 छत्ते हैं, जिससे सलाना करीब 9 टन शहद का उत्पादन होता है।