इंग्लैंड के 11 खिलाड़ी 18 के बराबर:7 खिलाड़ियों का रोल एक से ज्यादा, टीम इंडिया में सिर्फ 2 ऑलराउंडर

# ## Game

(www.arya-tv.com)  इंग्लैंड 2022 टी-20 वर्ल्ड कप की चैंपियन रही। क्रिकेटिंग वर्ल्ड ने देखा कि कैसे जोस बटलर की कप्तानी वाली टीम ने फियरलेस और एग्रेसिव क्रिकेट खेलकर पाकिस्तान और भारत जैसी मजबूत टीमों को हराया। सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के भले ही 11 खिलाड़ी मैदान पर उतरे थे, लेकिन वो 18 खिलाड़ियों के बराबर थे। टीम के 7 खिलाड़ी ऐसे थे जिनके रोल एक से ज्यादा थे। इस स्टोरी में हम जानेंगे कि कैसे और क्यों इंग्लैंड की टीम इस तरह की क्रिकेट खेल पा रही है…

पहले इंग्लैंड की प्लेइंग इलेवन और उसके खिलाड़ियों के रोल देखिए…

7 साल पहले मिली हार से सबक सीखा
2015 का ODI वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में खेला गया था। इंग्लैंड इस वर्ल्ड कप के पहले ही राउंड में बाहर हो गई थी। इसके बाद इस टीम का कायापलट हो गया। ये टीम 2015 के बाद से 2 बार वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी है। 2015 में इस टीम के कप्तान थे ऑयन मॉर्गन। इसी दौरान इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने अपनी टीम को नया रूप देने की बात ठानी।

मॉर्गन और ECB की ये मुहिम रंग लाई और 2016 में भारत में खेले गए टी-20 विश्वकप में इंग्लैंड ने फाइनल में कदम रखा। उस वक्त वह जीत तो हासिल नहीं कर पाई, लेकिन फाइनल जरूर खेला। 2017 में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी में टीम सेमीफाइनल तक पहुंची। इसके बाद 2019 में इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को हराकर पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीता।

इस सफर में इंग्लैंड की टीम पूरी तरह बदल गई। टीम के पास 5 से ज्यादा ऐसे खिलाड़ी थे, जो बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों कर सकते थे। 2022 का वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले टीम की फॉर्म कोई खास नहीं थी। आयरलैंड के खिलाफ टीम को हार भी मिली, लेकिन फिर जो वापसी हुई उसे दुनिया ने देखा।

14-15 खिलाड़ी 18 खिलाड़ी को कैसे हरा सकते हैं…
सेमीफाइनल और फाइनल में खेली भारत-पाकिस्तान की टीमें और उनके खिलाड़ियों के रोल देख लीजिए…

अब जानते हैं इंग्लैंड कैसे एग्रेसिव क्रिकेट खेल पाती है
इंग्लैंड की टीम एग्रेसिव क्रिकेट इसलिए खेल पा रही है, क्योंकि उनके खिलाड़ियों को भरोसा होता है कि टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ज्यादा विकल्प हैं। एक छोटे से उदाहरण से समझिए।

इंग्लैंड के पास इस वर्ल्ड कप में जोस बटलर और एलेक्स हेल्स के रूप में दोनों एग्रेसिव ओपनर थे। दोनों पावर-प्ले में बड़े-बड़े शॉट लगाते हैं। शुरुआती 6 ओवर में ही 60 से 70 रन बना लेते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में हेल्स के आउट होने के बाद भी जोस बटलर ने 17 बॉल में 26 रन बनाए।

दोनों ओपनर के आउट होने के बाद आने वाले बल्लेबाज फिल सॉल्ट, बेन स्टोक्स, हैरी ब्रूक, लियाम लिविंगस्टोन, मोईन अली, क्रिस वोक्स और सैम करन हैं। ये सभी बड़े शॉट खेलने में माहिर और काबिल हैं।

इंग्लैंड के खिलाड़ी इसीलिए एग्रेसिव और बिना डर के खेलते हैं। भारत और पाकिस्तान की टीम में ऐसा नहीं है। वर्ल्ड कप में इंडियन और पाकिस्तान के ओपनर डिफेंसिव दिखे। इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया ने सेमीफाइनल के पावरप्ले में सिर्फ 38 बनाए थे। पूरे वर्ल्ड कप में भारतीय ओपनर्स ने पावरप्ले में 100 से भी कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। रोहित शर्मा ने पावरप्ले में करीब 95 तो लोकेश राहुल ने लगभग 90 के स्ट्राइक रेट से स्कोर किया।

सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या को छोड़ दें तो भारतीय टीम में 150 से ज्यादा स्ट्राइक रेट और पहली ही बॉल से फियरलेस क्रिकेट खेलने वाला एक भी बल्लेबाज नजर नहीं आता। पाकिस्तान के साथ भी कुछ ऐसा ही है। बाबर आजम, मोहम्मद रिजवान, इफ्तिखार अहमद और शान मसूद। ये सभी पहली बॉल से बड़े शॉट नहीं लगा पाते। उन्हें पिच पर नजरें जमाने के लिए 10 बॉल से ज्यादा की जरूरत होती है। यहीं दोनों टीमें इंग्लैंड से मात खा जाती हैं।