आज आएगा समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें यूरोपीय देशों में समलैंगिक विवाह पर क्या कहता है कानून?

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(www.arya-tv.com) समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच मंगलवार (17 अक्टूबर 2023) को फैसला सुनाने वाली है। अगर फैसला याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आता है तो भारत में पुरुष-पुरुष और महिला-महिला या LGBTQA के लोग आपस में विवाह कर सकेंगे।

केंद्र सरकार ने प्रशासनिक कारणों की वजह से समलैंगिक विवाह का विरोध किया था। ऐसे में जब फैसला सुनाया जा रहा है तो सवाल उठ रहा है कि दुनिया के बाकी देशों में भी क्या समलैंगिक विवाह को मान्यता मिली हुई है। अगर हां तो वो कौन से देश हैं जहां पर समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई है। अगर दी गई है तो कब दी गई है और किन शर्तों के आधार पर दी गई है। इस सब के बारे में हम आपको पूरी जानकारी देंगे।

संयुक्त राज्य अमेरिका के ओबर्गफेल बनाम होजेस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 26 जून 2015 को संयुक्त राज्य अमेरिका में समलैंगिक विवाह को देश भर में वैध कर दिया गया। इस फैसले के आदेश में मामले को सुन रहे सुप्रीम कोर्ट के जज एंथनी कैनेडी ने लिखा, ‘कोई भी संबंध वैवाहिक संबंध से अधिक गहरा नहीं हो सकता क्योंकि यह संबंध प्रेम, निष्ठा, त्याग और परिवारिक मूल्यों का प्रतीक है। कानून की नजर में सभी को अधिकार है कि वह अपने लिए समान गरिमा की मांग कर सकते हैं।’

यूरोपीय देशों में समलैंगिक विवाह पर क्या कहता है कानून?
जर्मनी: 1 अक्टूबर, 2017 को जर्मनी में समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया गया था। जर्मनी की तात्कालीन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा था भले ही जर्मनी के संविधान में विवाह का मतलब पुरुष और महिला के बीच संबंध है लेकिन उनका मानना है कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी से समाज में अधिक शांति आ जाएगी।

यूनाइटेड किंगडम: इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड में 2014 में और उत्तरी आयरलैंड में 2020 में समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया गया था। फ्रांस में 18 मई 2013 को समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया गया था। इटली में समलैंगिक विवाह वैध नहीं है। हालांकि, 2016 में इटली में समान-लिंग वाले जोड़ों को वैध कर दिया गया और उनको कुछ कानूनी मान्यताएं प्रदान कर दी गईं थी।

रूस में समलैंगिक विवाह को कोई मान्यता नहीं दी गई है। इसके साथ ही यहां पर LGBTIQA की किसी विवाह को रोकने को लेकर कानून बनाए गए हैं। वहीं कनाडा ने 2005 में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी थी।