लखनऊ, 23 जनवरी। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने भारत की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए एक विस्तृत पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने विशेष रूप से पसमांदा मुसलमानों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने वाले सुझाव दिए हैं।
मंसूरी ने आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी और मेडिकल कॉलेजों जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की फीस में कमी का सुझाव दिया, जिससे ये संस्थान आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी सुलभ हो सकें। उन्होंने छात्रवृत्ति योजनाओं की संख्या और राशि दोनों बढ़ाने की सिफारिश की और उच्च शिक्षा संस्थानों में बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों, और डिजिटल पुस्तकालयों के विकास के लिए अधिक धनराशि आवंटित करने की मांग की।
उन्होंने अनुसंधान और फेलोशिप अनुदान में पर्याप्त वृद्धि के साथ-साथ पसमांदा तबके के लोगों के लिए योग्यता-आधारित छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
श्री मंसूरी ने पसमांदा मुसलमानों और अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और ग्रामीण इलाकों में नए स्कूल खोलने का आह्वान किया।
पसमांदा मुसलमानों के पारंपरिक शिल्प और कौशल के विकास के लिए, जैसे भदोही में कालीन बुनाई, मुरादाबाद में धातुकर्म, और बीदर में बिदरी कला,सीतापुर के दरी, अलीगढ के ताले आदि,मंसूरी ने अनुसंधान और शिक्षा के लिए समर्पित विश्वविद्यालयों की स्थापना और इन क्षेत्रों में कौशल-आधारित डिप्लोमा व डिग्री पाठ्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की।