सुरक्षित सीट से सत्ता पाने की तैयारी में सपा: बूथ करो मजबूत (रिजर्व सीट)’ अभियान शुरू किया

UP

(www.arya-tv.com)उप्र में पिछले तीन विधानसभा चुनाव में सुरक्षित सीट सत्ता की चाबी रहे हैं। यहां जिसकी सीट सबसे ज्यादा रही है उस पार्टी की सत्ता आई है। साल 2007 में बसपा, 2012 में सपा और 2017 में बीजेपी ने इन सीट पर सबसे ज्यादा विधायक लेकर आई पांच साल तक बहुमत की सरकार चलाई। अब एक बार फिर इन सुरक्षित सीट पर सबकी नजर होगी। समाजवादी पार्टी भी इससे अलग नहीं है। सत्ता पाने के लिए मुखिया अखिलेश यादव हर तरह के खेल खेलने को तैयार है।

ऐसे में सुरक्षित सीट के लिए उन्होंन बसपा सरकार में मंत्री रहे केके गौतम के माध्यम से निशाना साधा जा रहा है। एक दौर में केके गौतम बसपा सुप्रीमो मायावती के सबसे खास सिपहसालारों में एक थें। अब यही केके गौतम सपा के लिए ‘अपना बूथ करो मजबूत (रिजर्व सीट)’ नाम से यात्रा निकाल रहे हैं। 17 सितंबर को शुरू हुई यह यात्रा पहले चरण में लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, बहराइच, कन्नौज, फर्रूखाबाद, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर नगर, बाराबंकी की सुरक्षित सीटों पर संगोष्ठी करेंगे।

बीजेपी के पास 87 में 69 सीट

उत्तर प्रदेश में सुरक्षित यानी रिजर्व सीटें कुल 87 हैं। यूपी में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं। पूर्ण बहुमत के लिए 202 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में रिजर्व सीटें सत्ता के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होती हैं। जिनमें 84 अनुसूचित जाति की और 02 सीटें अनुसूचित जनजाति की हैं। साल 2007 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने 62 रिजर्व सीटों पर परचम फहराया था और 207 के आंकड़े तक पहुंची थी। उसके बाद 2012 में समाजवादी पार्टी को कुल 224 सीटें हासिल हुई थीं और रिजर्व सीटों में से सपा ने 58 अपने नाम कर ली थीं। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने रिकॉर्ड कायम करते हुए 69 रिजर्व सीटों को अपने नाम किया था। जबकि, उसकी कुल 325 सीटें आईं थीं।

दलित राजनीति की बेहतर समझ

केके गौतम की दलित समाज में गहरी पैठ के साथ इस राजनीति को बहुत बेहतर समझते है। बसपा में रहते हुए वह सुरक्षित सीटों पर प्रत्याशी तय करने और वहां की रण नीतियों को लेकर काम कर चुके हैं। इतना ही नहीं बसपा सरकार में उनकी हैसियत यह थी कि उनके तय प्रत्याशी को मायावती भी खारिज करने के पहले कई बार सोचतीं थीं। दूसरी महत्वपूर्ण चीज यह है कि केके गौतम आज भी अपने पुराने साथियों के टच में हैं। ऐसे में सपा के लिए के के गौतम की उपलब्धता जीवनदायिनी साबित हो सकती है। साथ ही दलित वोट बैंक के एक बड़े धड़े को साथ जोड़ सकती है।

बसपा के मूल वोटर में सेंध लगाने की पहल

दलित समाज को बसपा का मूल वोटर माना जाता है। हालांकि पिछले कई चुनावों से भाजपा ने बसपा के इन वोटर्स में गहरी पैठ की है। लेकिन, दलितों में अभी जाटव/चमार समाज आज भी मजबूती से बसपा के साथ खड़ा है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि के के गौतम बसपा के मूल वोटर वाले समाज यानी दलितों में चमार समाज से आते हैं। अगर सपा अब बसपा के इस वोट बैंक में सेंध लगाती है तो वहां पर के के गौतम की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी।

संविधान बचाने की लड़ाई – केके गौतम

केके गौतम ने सपा की ओर से मिली जिम्मेदारी के बाद अपने दौरे पर निकल चुके हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने संविधान को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में अगर भाजपा को कोई हरा पाएगा तो वह सपा ही है। सपा की सरकार बनाना संविधान को बचाने के बराबर है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने आरक्षण को खत्म करने के लिए निजीकरण का रूख अख्तियार किया है। साथ ही लोगों की नौकरियां खत्म की जा रहीं है। विकास के सभी रास्तों को बन्द कर दिया गया है। सपा सरकार में हुए कामों का फीता काटा गया है। भाजपा ने भी तक कोई भी उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है। केके गौतम ने कहा कि वह सभी सुरक्षित सीटों पर जाकर संगोष्ठी करेंगे और सपा की सरकार बनाने का आह्वान करेंगे।