गोरखरपुर के छह साहित्‍यकारों को मिला पुरस्‍कार, इस तरह से जताई खुशी

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गोरखपुर (www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने वर्ष 2019 के लिए अपने पुरस्कारों और सम्मानों की घोषणा कर दी। संस्थान की ओर से जारी पुरस्कारों और सम्मानों की सूची जब इंटरनेट मीडिया के माध्यम से देर शाम गोरखपुर पहुंची तो यहां के साहित्यकारों में खुशी की लहर दौड़ गई। एक-दो नहीं बल्कि छह साहित्यकारों के नाम उस सूची में चमक रहे थे।

यह हैं गोरखपुर के छह साहित्‍यकार

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केसी लाल को मधुलिमये साहित्य सम्मान के लिए नामित किया गया था तो भोजपुरी साहित्यकार नरसिंह बहादुर चन्द का नाम साहित्य भूषण सम्मान की सूची में शामिल था। 2019 में प्रकाशित पुस्तकों के लिए जिन लेखकों और रचनाकारों का नाम सूची में शामिल किया गया है, उनमें अनीता अग्रवाल, श्रीधर मिश्र, नित्यानंद श्रीवास्तव और डा. फूलचन्द गुप्त का नाम शामिल है।

इस पुस्‍तक के लिए इन्‍हें मिला पुरस्‍कार

अनीता अग्रवाल की पुस्तक ‘स्मृतियों का वातायन को श्रीधर पाठक पुरस्कार के लिए नामित किया गया है तो श्रीधर मिश्र को उनके कविता संग्रह ‘छूट गया हूं मैं के लिए विजयदेव नारायण शाही पुरस्कार से नवाजा जाएगा। डीवीएन पीजी कालेज के शिक्षक डा. नित्यानंद श्रीवास्तव की पुस्तक ‘भक्ति : भय और भूख की अंतर्यात्रा के लिए राम विलास शर्मा पुरस्कार देने का निर्णय हिंदी संस्थान ने लिया है। फूलचंद गुप्त की पुस्तक ‘महायोगी गोरखनाथ को विष्णु प्रभाकर पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। पुरस्कारों के लिए नामित होने की जानकारी मिलते ही गोरखपुर साहित्य जगत की हलचल बढ़ गई। बधाई और धन्यवाद देने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। सम्मान और पुरस्कार के लिए नामित होने से आह्लादित साहित्यकारों ने अपनी खुशी कुछ इस तरह जाहिर की।

मेरी साहित्यिक सेवाओं को सम्‍मान

मधुलिमये साहित्य सम्मान मिलने पर प्रो. केसी लाल का कहना है कि लिखने-पढऩे को सम्मान मिलता है तो खुशी लाजिमी है। संस्थान ने मेरी साहित्यिक सेवाओं का सम्मान किया है, इसके लिए मैं उसके अध्यक्ष और सदस्यों का आभारी हूुं। सम्मान को केवल सम्मान की दृष्टि से ही नहीं देखा जाना चाहिए, यह साहित्य के सेवा की सामाजिक स्वीकृति भी है। साहित्य भूषण सम्मान मिलने पर नरसिंह बहादुर चन्द का कहना है कि साहित्य भूषण सम्मान के लिए नामित होने पर बेहद खुश हूं। हिंदी संस्थान ने साहित्य सृजन के लिए मेरा हौसला बढ़ाया है। इससे मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार होगा और बेहतर सृजन की प्रेरणा मिलेगी।

सम्मान की दुनिया में यह महत्वपूर्ण पड़ाव है। मंजिल तक पहुंचने का सिलसिला जारी रखूंगा। श्रीधर पाठक पुरस्कार मिलने पर अनीता अग्रवाल का कहना है कि बीते वर्ष मेरी पुस्तक ‘बारहमासा को हिंदी संस्थान का संस्कृति सम्मान दिया गया था। इस वर्ष ‘स्मृतियों का वातायन पुस्तक को पुरस्कार के लिए नामित किया जाना इस बात की पुष्टि है कि मेरा सृजन साहित्य की दुनिया में अपनी छाप छोडऩे में सफल रहा है। पुरस्कार से दायित्वबोध बढ़ गया है। राम विलास शर्मा पुरस्कार मिलने पर डा. नित्यानंद श्रीवास्तव का कहना है कि मेरी पुस्तक का राम विलास शर्मा पुरस्कार के लिए नामित होना, हर्षित करने वाला पल है।

उनके नाम के साथ मेरा नाम जुडऩे से मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है। उनके सामने मैं कुछ भी नहीं हूं। ऐसे में संस्थान के निर्णायकों को इसके लिए धन्यवाद देता हूं कि मुझे और मेरी पुस्तक को इस लायक समझा गया। विजयदेव नारायण शाही पुरस्कार मिलने पर श्रीधर मिश्र का कहना है कि पुरस्कार मिलने से यह संतुष्टि अवश्य होती है कि जो कुछ रचा व लिखा जा रहा है, वह स्वीकार भी किया जा रहा है। पुरस्कार एक प्रोत्साहन भी है।

विजय देव नारायण शाही के नाम का पुरस्कार मिलना खुशी को और बढ़ाने वाला है। पुरस्कार पाकर आह्लादित हूं। इससे नए सृजन की प्रेरणा मिलेगी। विष्णु प्रभाकर पुरस्कार मिलने पर डा. फूलचंद प्रसाद गुप्त का कहना है कि मेरी पुस्तक ‘महायोगी गोरखनाथ को पाठकों ने काफी सराहा है। ऐसे में पुस्तक को हिंदी संस्थान का पुरस्कार मिलने से मेरी साहित्यिक यात्रा को संबल मिलेगा। यह गोरखपुर के साहित्यकारों और गुरु गोरक्षनाथ का सम्मान है। 2016 में मेरी कृति ‘बटोहिया के सौवें को भिखानी ठाकुर सम्मान भी मिल चुका है।