शुऑट्स के चांसलर, वॉइस चांसलर सहित 8 की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

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(www.arya-tv.com) लाल बंधुओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सैम हिग्गिनबाटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नालॉजी एंड साइंसेज (SHUATS) में नियम विरुद्ध 69 प्रोफेसरों की भर्ती मामले के 8 आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। जिन लोगों की अर्जी सीजेएम कोर्ट ने खारिज की है उनमें चांसलर प्रो. जेए ओलिवर, वाइस चांसलर प्रो. आरबी लाल, डायरेक्टर प्रो. एकेए लॉरेंस, वाइस चांसलर प्रशासन प्रो. एसबी लाल, डायरेक्टर प्रो. विनोद बी लाल, प्रो. स्टीफन दास, प्रो. मोहम्मद इम्तियाज, प्रो. रंजन जॉन शामिल हैं।

रिहा हुए तो विवेचना प्रभावित कर सकते हैं आरोपी
जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश संतोष राय ने अग्रिम जमानज अर्जी में दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि चूंकि आरोपियों के खिलाफ गंभीर किस्म की शिकायतें हैं। ऐसे में यदि जमानत दी गई तो आरोपी गवाहों और विवेचना को प्रभावित कर सकते हैं। लिहाजा आरोपियों को जमानत नहीं दी जा सकती है।

STF ने दर्ज कराई थी फर्जीवाड़े की FIR
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गुलाब चंद्र अग्रहरि ने अग्रिम जमानत अर्जी पर विरोध जताया और कहा कि पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ नवेंदु कुमार ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि वाइस चांसलर व उनके सहयोगियों ने मिलकर 1984 से लेकर 2017 तक कुल 69 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर अवैध एवं नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्ति की है। इन नियुक्तियों में योग्यता मानक ताक पर रखे गए। यही नहीं पदों का विज्ञापन भी नहीं निकाला गया। न तो इंटरव्यू कॉल किया और न ही नियुक्ति पत्र प्रसारित किया गया। मनमाने तरीके से नियमों को ताक पर रचाकर रसूखदार लोगों के व अपने भाई भतीजों को अवैध तरीके से नियुक्ति दे दी गई। लिहाजा इन लोगों ने राजकीय धन का आपराधिक दुरुपयोग किया है। आरोपितों का आपराधिक इतिहास है। इस केस का खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर त्रिपाठी के शिकायत पर जांच के बाद हुआ।