शिवराज कैबिनेट का विस्तार, 6 दावेदारों में 4 बनेंगे मंत्री, रेस में सिंधिया समर्थक नेता

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(www.arya-tv.com) मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की घड़ियां करीब आ गई हैं। सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार शाम को राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह होगा, जिसमें 4 नए मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मंत्रियों के नाम को हरी झंडी दे दी है। बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन और रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ला का मंत्री बनना तय है।

इसके साथ ही दो अन्य चेहरे भी मंत्री बनाए जा सकते हैं। इनमें नरसिंहपुर से विधायक जालम सिंह पटेल, दमोह से उपचुनाव 2020 में हारे राहुल लोधी, इमरती देवी और लाल सिंह आर्य का नाम चर्चा में चल रहा है। आपको बता दें कि 35 मंत्रियों वाली मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंत्रिपरिषद में अभी चार पद खाली हैं। इन्हीं पदों को भरा जाना है।

राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह कई बार एमपी का दौरा कर चुके हैं। अमित शाह के दौरे पर ही सीनियर नेताओं की नाराजगी का मुद्दा उठाया गया था। जिसके बाद कैबिनेट विस्तार को हरी झंडी दी गई थी।

गौरीशंकर बिसेन

बिसेन बालाघाट से 7वीं बार के विधायक हैं। 1971 में ग्राम हितकारिणी समिति के अध्यक्ष, 1978-80 में जिला सहकारी बैंक एवं भूमि विकास बैंक बालाघाट के संचालक रहे। इसी दौरान बालाघाट जिला भाजपा के उपाध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1985, 1990, 1993 और 2003 में विधायक निर्वाचित हुए। विधानसभा की कई समितियों के सदस्य और सभापति रहे। 1998 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीते।

लोकसभा की स्थाई समिति- रक्षा, ऊर्जा, रेल, कृषि, खाद्य और नागरिक आपूर्ति सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे। 25 दिसंबर 2000 से भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा एवं सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी भी बनाए गए। गौरीशंकर बिसेन मध्य प्रदेश भाजपा के तीन बार उपाध्यक्ष भी रहे। वर्ष 2008 में 13वीं विधानसभा जीतकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, सहकारिता मंत्री बनाए गए।

2013 में 14वीं विधान सभा में विधायक बनकर पहुंचे। उन्हें किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग का मंत्री बनाया गया। वर्ष 2018 में जब भाजपा सत्ता खो चुकी थी, तब भी बिसेन चुनाव जीते। डेढ़ साल बाद भाजपा सरकार बनी तो बिसेन का मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया गया, यह पद भी कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त है। अब उन्हें फिर मंत्री बनाया जा सकता है।

क्यों बनाए जा रहे मंत्री

दरअसल, गौरीशंकर बिसेन मध्य प्रदेश का बड़ा ओबीसी चेहरा हैं। महाकौशल क्षेत्र के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। बालाघाट में वे अपराजेय रहे हैं। अब मध्य प्रदेश सरकार विधानसभा चुनाव 2018 में ओबीसी वोटर को लुभाने की कोशिश कर रही है।

राजेंद्र शुक्ल

रीवा विधानसभा क्षेत्र से राजेंद्र शुक्ला बड़ा नाम है। वे यहीं से विधायक हैं। साल 2018 में वे रीवा सीट से चौथी बार विधायक चुनकर विधानसभा आए हैं। राजेंद्र शुक्ल 2003 में पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। तब से लगातार अपराजेय हैं। 2013 में उन्हें मंत्री बनाया गया था। 2018 में जब भाजपा ने सत्ता गंवा दी थी, तब भी भाजपा को विंध्य क्षेत्र में बड़ी सफलता मिली थी। रीवा जिले की सभी आठों विधानसभा सीटों पर भाजपा उम्मीदवार चुनाव जीते थे। पहले भी मंत्री रह चुके शुक्ला अब फिर मंत्री बनाए जा रहे हैं।

क्यों बनाए जा रहे मंत्री

विंध्य क्षेत्र में भाजपा ने साल 2018 के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था। अब 2023 में पार्टी उसे दोहराना चाहती है। विंध्य क्षेत्र में सवर्ण वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी ने राजेन्द्र शुक्ल को मंत्री बनाने का फैसला किया है।

इन नामों को भी हो रही है चर्चा

जालम सिंह पटेल

नरसिंहपुर से विधायक हैं। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के भाई हैं। नरसिंहपुर से दूसरी बार के विधायक हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी नेता की पहचान है। महाकौशल क्षेत्र में ओबीसी मतदाताओं को रिझाने को लेकर इन्हें मंत्री पद दिया जा सकता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया

राहुल लोधी

वर्ष 2018 टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक चुने गए। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र का बड़ा लोधी चेहरा। क्षेत्र में लोधी वोटर्स की संख्या बहुत अधिक है। बुदेलखंड क्षेत्र में ओबीसी मतदाताओं को प्रभावित करने की कवायद। उमा भारती को खुश करके टीकमगढ़, निवाड़ी का गढ़ मजबूत करने की कोशिश।

इमरती देवी

साल 2018 में कांग्रेस के टिकट से ग्वालियर की डबरा सीट से विजयी। महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री बनाई गईं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक हैं। सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं। 2020 में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ा, हार गईं। अब कैबिनेट दर्जा प्राप्त लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष हैं। 2008, 2013, 2018 में विधायक चुनी गईं। ग्वालियर क्षेत्र में दलित चेहरा हैं। महिला हैं। सिंधिया की पसंद हैं। पूर्व में महिला बाल एवं विकास मंत्री रही हैं, उन्हें फिर यही विभाग दिया जा सकता है।

लाल सिंह आर्य

भिंड जिले की गोहद सीट से साल 1998, 2003, 2013 में विधायक चुने गए। साल 2013 में चुनाव जीतकर भाजपा सरकार में मंत्री बने। लेकिन 2018 में चुनाव हार गए। हाल ही में उन्हें फिर से गोहद से टिकट दिया गाय है। अनुसूचित जाति वर्ग से प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें मंत्री बनाए जाने से एससी वोटस प्रभावित हो सकता है। अनुभवी नेता हैं। दलित चेहरा हैं। एससी वोटर्स को प्रभावित कर सकते हैं।

4 नेता ही बन सकते हैं मंत्री

हालांकि पद मध्यप्रदेश में मंत्री बनने के लिए केवल 4 ही पद खाली हैं। गौरीशंकर बिसेन और राजेंद्र शुक्ल का नाम तय है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि जालम सिंह पटेल, राहुल सिंह लोधी, लाल सिंह आर्य और इमरती देवी में सरकार किसे मंत्री बनने का मौका मिलता है।