नहीं रहे प्रसिद्ध कथाकार शेखर जोशी, 90 वर्ष की आयु में निधन

Lucknow

(www.arya-tv.com) प्रसिद्ध वयोवृद्ध कथाकार शेखर जोशी का आज निधन हो गया. वे 90 वर्ष के थे. उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में जन्में शेखर जोशी की कहानियों का अंग्रेजी, रूसी और जापानी समेत भाषाओं में अनुवाद हुआ है. उनकी प्रसिद्ध कहानी ‘दाज्यू’ पर बाल-फिल्म सोसायटी ने एक फिल्म भी बनाई थी. शेखर जोशी का जन्म 10 सितम्बर, 1932 को हुआ था.

शेखर जोशी के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है. तमाम लेखक, पत्रकार और संपादकों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. सोशल मीडिया पर शेखर जोशी के प्रशंसक उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं.

भाषाविद् सुरेश पंत ने अपने संदेश में लिखा है- हिंदी कथा जगत के देदीप्यमान नक्षत्र शेखर जोशी नहीं रहे, किंतु उनका योगदान सदा अमर रहेगा. दो महीने पहले मेरे निवास पर पधारकर दर्शन दिए थे, नब्बे वर्ष में भी स्वस्थ और सजग. इतना कोमल, मधुर व्यक्तित्व भुलाए नहीं भूला जा सकता. सादर श्रद्धांजलि, शेखर दा.

राजकमल प्रकाशन समूह ने उनकी रचनाओं को याद करते हुए शेखर जोशी को श्रद्धांजलि अर्पित की है.

शेखर जोशी की प्रमुख रचनाओं में दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियां शामिल हैं. उनकी कहानियों में पहाड़ी जीवन का कठीन संघर्ष, गरीबी, उत्पीड़न, धर्म और जाति में जुड़ी रुढ़ियां जैसे विषय रहे हैं.

शेखर जोशी को कुछ समय पहले ही ‘अमर उजाला शब्द सम्मान’ से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें 1987 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, 1995 में साहित्य भूषण और 1997 में पहल सम्मान से सम्मानित किया गया.

प्रमुख रचनाएं-

कोशी का घटवार (1958)
साथ के लोग (1978)
हलवाहा (1981)
नौरंगी बीमार है (1990)
मेरा पहाड़ (1989)
डागरी वाला (1994)
बच्चे का सपना (2004)
आदमी का डर (2011)
एक पेड़ की याद
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