- मुख्यमंत्री ने विजयादशमी की प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं
- विजयादशमी का पर्व सनातन हिंदू धर्म को सदैव सत्य, न्याय और धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देता रहा है
- सम और विषम कोई भी परिस्थिति हो, हम गलत मार्ग पर नहीं चलेंगे, सत्य का आचरण करेंगे, न्याय और धर्म के पथ पर चलेंगे, तो विजय हमारी अवश्य होगी
- विजयादशमी का पर्व केवल धर्म और सत्य का ही नहीं, मातृशक्ति के सम्मान का भी प्रतीक
- प्रधानमंत्री जी ने आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रम में पूरे देश को पंच प्रण के साथ जोड़ने का आह्वान किया
- अपनी विरासत और परम्परा को आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार बनाने में हमें सहयोग देना होगा
- राज्य सरकार के प्रयासों से पूर्वी उ0प्र0 ने इंसेफेलाइटिस से मुक्ति की ओर कदम बढ़ाया
- केन्द्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं को ईमानदारी से लागू किया गया
(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद गोरखपुर में विजयादशमी की भव्य शोभा यात्रा के उपरान्त रामलीला मैदान में जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि विजयादशमी का पर्व सनातन हिंदू धर्म को सदैव सत्य, न्याय और धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देता रहा है। सम और विषम कोई भी परिस्थिति हो, हम गलत मार्ग पर नहीं चलेंगे, सत्य का आचरण करेंगे। न्याय और धर्म के पथ पर चलेंगे, तो विजय हमारी अवश्य होगी। विजयादशमी इस बात का हजारों वर्षों से हमें अहसास करा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारत वर्ष का विजय पर्व विजयादशमी है। यह उत्साह और उमंग दिखना भी चाहिए। इस दौरान उन्होंने विजयादशमी की प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि श्री गोरक्षपीठ की परम्परा का निर्वहन करने के लिए मैं एक बार फिर यहां आया हूं। आर्यनगर की यह रामलीला समिति प्रति वर्ष आयोजन के साथ न केवल अपनी विरासत, परम्परा और अपनी संस्कृति तथा सनातन धर्म के प्रति अटूट निष्ठा का परिचय देती है, बल्कि वर्तमान पीढ़ी का ज्ञानवर्धन और मनोरंजन दोनों का कार्य करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम भगवान श्रीराम की पूजा एवं वन्दना कर रहे हैं। क्योंकि भगवान श्रीराम ने अपने आदर्शों से एक आदर्श प्रस्तुत किया है। हमारे यहां कहा गया है कि ‘रामो विग्रहवान धर्मः’ अर्थात धर्म की परिभाषा देनी हो या धर्म के बारे में जानना हो, तो भगवान श्रीराम के चरित्र के बारे में जानें। राम और रावण का युद्ध हर युग में निरन्तर चलता है। अन्यायी और अत्याचारी ताकतें अलग-अलग रूप में अलग-अलग कालखण्ड में पैदा होती हैं। कभी अधर्म के रूप में, कभी रावण के रूप में और कभी कंस, दुर्याेधन, आतंकवाद, नक्सलवाद और भ्रष्टाचार के रूप में पैदा होती हैं। यह सभी राक्षसी प्रवृत्तियां हैं। यह समाज को खोखला बना रही हैं। अराजकता को बढ़ावा दे रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी कल्याणकारी शासन, व्यवस्था और समाज का यह एक महत्वपूर्ण पहलू होता है कि वह समाज की पीड़ा को अपनी पीड़ा के साथ जोड़ता है। राष्ट्र की पीड़ा के साथ अपने आपको जोड़ता है। समाज की ज्वलन्त समस्याओं के समाधान के लिए अपने आपको जोड़ता है। तभी महानता का रास्ता निकलता है।