- भुगतान के दबाव के लिए बुलाई गयी थी नगर निगम लेखा की समीक्षा बैठक
- विकासकार्य के बहाने ठेकेदारी में लिप्त हैं हमारे पार्षद,कमीशन से होती है मुख्य आय, इसके कुछ ईमानदार भी हैं
(www.arya-tv.com)आप को यह जान कर हैरानी होगी कि एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना की जंग लड़ रहा है वहीं दूसरी ओर हमारे लखनऊ नगर निगम में महापौर के संरक्षण में सत्ताधारी पार्षद सरकार की नाक कटाने में लगे हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि अधिकतर पार्षद तो स्वयं ठेकेदारी मेें पूरी तरह से लिप्त हैं उनके लिए विकास कार्य तो सिर्फ एक बहाना है। उसकी आड़ में काम का कमीशन और जब काम हो जाए तो उसके भुगतान में कमीशन मुख्य मुद्दा होता है जिससे कि लाभ कमाया जा सके।
एक विपक्षी पार्षद ने नाम ने बताने की शर्त पर खुलकर कहा कि यह लेखाविभाग की बैठक मुख्य वित्तलेखाधिकारी महामिलिंदलाल और नगर आयुक्त को दबाव में लेने के लिए बुलाई गयी थी जिससे कि मनचाहे फर्मों का भुगतान कराया जा सके उसमें यह फर्म शामिल नहीं है जो किसी भी रूप में किसी भी पार्षद के साझेदार नहीं हैं। कुछ जोनों के कुछ पार्षद जो खुलेआम पूरी तरह से ठेकेदारी में लगे हुए हैं,जिसमेें गोमती नगर का एक पार्षद,अलीगंज का एक पार्षद,एक पार्षद को पुराने पार्षद का नौकर था अब वह भी पार्षद है पुराने बाबू साहब काम बेचने में माहिर हैं कटिंग के काम 15प्रतिशत पर बेचते हैं। इस तरह से देखा जाए तो वर्तमान समय में नगर निगम के अधिकारी बहुत ही दवाब में कार्य कर रहे हैं। इन सब मामलोें की जानकारी उच्च स्तर पर अधिकारियों को नेताओं को भी है। पर कोई भी मेयर की इस कार्यशैली के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है। इस सब मामले में वो ठेकेदार भिखारी बन गये हैं जो पार्षदों को सलाम नहीं करते।