देश में कम हो रहे शोध, आवंटित धन का 90 फीसदी हिस्सा मात्र 10 फीसदी छात्रों पर खर्च

# Education

(www.arya-tv.com) सीआईआई लाइफसाइंसेज के कॉनक्लेव में देश के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने बताया कि देश में अनुसंधान सहायता का 90 फीसदी हिस्सा उन प्रयोगशालाओं को जाता है, जहां हमारे 10 फीसदी छात्र जाते हैं, जबकि 90 फीसदी छात्र ऐसे विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में जाते हैं, जो प्रमुख शोध संस्थानों के बेहद करीब हैं, लेकन वहां बहुत कम शोध होता है।

राघवन ने कहा, देश में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का व्यापक विस्तार हुआ है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीओबी), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग और वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) जैसे तमाम बेहतरीन शोध संस्थान देश में मौजूद हैं। इन संस्थानों के पास विशाल बौद्धिक, भौतिक और अन्य बुनियादी संसाधन व क्षमताएं हैं, जिनका लाभ देश को उठाना होगा।

देश में शोध को बढ़ावा देने का आसान समाधान बताते हुए उन्होंने कहा, देश के तमाम बेहतरीन शोध संस्थानों के संसाधनों व क्षमताओं को उद्योगों व अकादमिक क्षेत्र से जोड़ा जाए। कोविड-19 ने भारत में उद्योगों और विज्ञान को पहले ही बहुत करीब कर दिया है, अब आगे मिलकर काम करने की जरूरत है।

आगे कहा कि  भारत जितने विशाल स्तर पर यह कर सकता है, इसके लिए बेवजह के बाध्यकारी नियम-कानूनों को खत्म किए जाने की जरूरत है। अकादमिक, उद्योग व शोध के क्षेत्र में सुधार एक सतत प्रक्रिया है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को आदेश दिया है कि 12वीं में अनुप्रयुक्त गणित पढ़ने वाले छात्रों को स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के दौरान गणित के छात्रों की तरह ही माना जाए और बिना किसी भेदभाव के उन पाठ्यक्रमों में दाखिला दिया जाए, जिनमें गणित के छात्र दाखिले के लिए पात्र होते हैं।

यूजीसी ने यह आदेश सीबीएसई के अनुरोध के बाद जारी किया है। सीबीएसई ने यूजीसी को बताया था कि कुछ विश्वविद्यालयों ने अर्थशास्त्र, वाणिज्य व समाज विज्ञान में दाखिले के लिए 12वीं में गणित विषय के अध्ययन को अनिवार्य बना रखा है। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने देशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपितयों को पत्र लिखकर यह आदेश जारी किए हैं।