19 साल की उम्र में लगा TADA… जेल में सड़ा खाना… हैरान कर देगी इस कारसेवक की अनसुनी कहानी

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(www.arya-tv.com) मेरठ. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूरा देश राममय हो चला है. ऐसे में नब्बे के दशक के कारसेवक उस दौर की ऐसी यादें संजोए हैं, जिसे सुनकर आश्चर्य होता है. ऐसे ही एक कारसेवक ने उस दौर को याद करते हुए कहा कि उन पर टाडा जैसी गंभीर धारा लगाई गई थी. 19 वर्ष की आयु में मेरठ के रहने वाले विवेक रस्तोगी पर टाडा की धारा लगाई गई थी. विवेक बताते हैं कि उन्हें नब्बे के दशक का एक एक सीन ऐसे याद है जैसे किसी फिल्म की रील चल रही हो. उस वक्त तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की हत्या की साजिश रचने के आरोप में ‘टाडा’ आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम लगा दिया गया था.

मेरठ के रहने वाले विवेक रस्तोगी राम मंदिर बनने से खुश हैं. विवेक रस्तोगी ने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उन्हें बेसब्री से इंतजार था. राम मंदिर आंदोलन के दौरान उन पर न जाने क्या-क्या जुल्म किया गया. विवेक बताते हैं कि 1989 में कारसेवकों ने शिला पूजन यात्रा की शुरुआत की थी. नब्बे के दशक में बीजेपी की सरकार गिर गई थी और फिर समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और कार सेवकों को जेल में डालने का काम किया गया था.

जेल भरो आंदोलन में गए जेल
विवेक बताते हैं कि 1989 में राम शिलाओं का पूजन का कार्यक्रम चल रहा था. उसी समय उनको स्टीकर दिए गए थे, जो घर-घर जाकर लगाए जाते थे और 50 पैसे या एक रुपए उस समय इकट्ठा किए जाते थे. उन्होंने बताया कि सन 1990 में जेल भरो आंदोलन हुआ, जिसमें उनको एक विद्यालय में अस्थाई रूप से बनी जेल में रखा गया था. उन्होंने बताया कि जानसठ में डीएवी स्कूल था, जहां पर उस समय के एसडीएम ने आकर कार सेवकों पर लाठीचार्ज कर दिया था, जिसमें उनको भी लाठी लगी थी. इतना ही नहीं जेल में मिलने वाले खाने में ख़राब तेल मिलाया जाता था जिससे फ़ूड पॉइज़निंग हो जाए.

वर्तमान में बीजेपी के महानगर उपाध्यक्ष
विवेक रस्तोगी बताते हैं कि जब बीजेपी की सरकार 5 साल बाद आई, तब उनके ऊपर लगे आरोपों की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई. जांच में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले. जिसकी रिपोर्ट कोर्ट में भी पेश की गई. इसके बाद उन्हें दोष मुक्त कर दिया गया. विवेक रस्तोगी वर्तमान में बीजेपी से मेरठ महानगर उपाध्यक्ष हैं और अब जब राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को हो रहा है तो वह कहते हैं कि उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि जिसके लिए इतना संघर्ष किया, वह मकसद पूरा हुआ और जीते जी वह इसको देख भी पा रहे हैं.