- विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत
जयपुर। राजस्थान की पिंक सिटी के नाम से मशहूर शहर में विगत दिनों रामगंज में जो आपसी झगड़ा हुआ था उसमें इकबाल नामक एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी। राजस्थान सरकार ने इस पर संज्ञान लेते हुए तुरंत 50 लाख रुपए की राहत राशि मृतक के परिवार को जारी कर दी। यहां तक तो बात ठीक है लेकिन जिस तरीके से कुछ सरकारें तुष्टीकरण के लिए गैर अल्पसंख्यकों को किसी भी सरकारी योजना के लाभ से वंचित करती रहती है। अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए और अल्पसंख्यकों का एक मत वोट प्राप्त करने के लिए सदैव गैर अल्पसंख्यकों को चाहे भी कितना भी गरीब क्यों न हो लेकिन गैर अल्प संख्यक होने के कारण किसी भी योजना में लाभ नहीं मिल पाता है।
इसका प्रत्यक्ष उदाहरण कर्नाटक का सरकार है जहां पर सब रोजगार के नाम पर अल्पसंख्यकों को 10 लाख रुपए दिए जा रहे हैं जिसमें से केवल 5 लाख ही वापस करने हैं लेकिन किसी गैर अल्पसंख्यक को ₹1 की भी वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही है। चाहे वह कितना भी गरीब क्यों न हो। यह भी ज्ञात हो अल्पसंख्यक समुदाय में सबसे अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ केवल मुस्लिम द्वारा ही लिया जाता है क्योंकि जैन बौद्ध सिक्ख इत्यादि बहुत सी सरकारी योजनाओं को स्वीकार नहीं करते हैं और अपने पैरों पर खड़े होकर देश के योगदान में सहयोग करते हैं।
राजस्थान में कुछ दिन पूर्व जब एक दर्जी कन्हैयालाल की जो की गैर अल्पसंख्यक था मतलब हिंदू था उसकी सहायता के नाम पर राजस्थान सरकार ने मात्र 5 लाख रुपए जारी किए थे और वह भी घटना के कई दिनों बाद प्रदान किए गए थे जब इस बात की मांग की गई।
वोट के लिए किसी इंसान के जीवन में भी भेदभाव करना यह कुछ सरकारों का नित्यकर्म हो चुका है। कहीं पर बेटी के नाम पर तो कहीं पर शिक्षा के नाम पर तो कहीं पर रोजगार के नाम पर केवल और केवल हिंदुओं को अलग रखने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई जाती है।
क्या इस भारत देश में हिंदू कोई भारतवासी नहीं होता? उसके अधिकार और लोगों से कम क्यों कर दिए जाते हैं? और यह स्वतंत्रता के बाद से अब तक जारी है। चाहे धर्म का मामला हो अथवा कर्म का मामला हो हिंदू को हमेशा दबाने चिढ़ाने का प्रयास क्यों किया जाता है? हिंदुओं की सहनशीलता के कारण उनके देवी देवताओं का मजाक उड़ाने पर सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था भी एफ आई आर दर्ज करने को मना कर देती है वहीं पर किसी अल्पसंख्यक के विरुद्ध बोलने पर सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले ले लगती है।
इस तरह के कानून के नियम और सरकार की योजनाओं से जनमानस में आक्रोश पलता जा रहा है जो विभिन्न नेट मीडिया में विभिन्न पोस्ट में देखा जा सकता है। हमारे देश के नेताओं को भारत के भविष्य की कोई चिंता नहीं है। क्या वह भारत को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं? क्या वह भारत को फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं? क्या वह भारतीय संस्कृति सनातन को पूर्णतया नष्ट करना चाहते हैं? यह प्रश्न हर भारतवासी के मन में दिन प्रतिदिन चुभता जा रहा है और आने वाला समय बताया कि इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी।