रेलवे बोर्ड ने नई लाइन बिछाने वाली योजनाओं को ठंडे बस्तें में डाल दिया,लागों को ट्रेनों की आवाज सुनने का इंतजार

Gorakhpur Zone

गोरखपुर (www.arya-tv.com) बासगांव के लोगों को ट्रेन पकडऩे के लिए आज भी 40 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। महराजगंज जिला मुख्यालय के लोग अंग्रेजों के जमाने से ट्रेनों की आवाज सुनने का इंतजार कर रहे हैं। कुशीनगर की यात्रा अभी सड़क मार्ग से ही करनी पड़ रही है।

खलीलाबाद-बहराइच-भिंगा क्षेत्र में रेल लाइन बिछने में अभी समय लगेगा। दरअसल, रेलवे बोर्ड ने नई रेल लाइन बिछाने वाली योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इसके चलते पूर्वांचल में बौद्ध सॢकट को यातायात की दृष्टि से समृद्ध करने की योजना भी परवान नहीं चढ़ पा रही है।

मंजूरी मिलने के बाद भी शुरू नहीं हो पा रहीं पूर्वांचल की नई योजनाएं

यह तब है जब नई रेल लाइन योजनाओं का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) रेलवे बोर्ड को भेज दी गई है। सहजनवां-दोहरीघाट लगभग 80 किमी रेल लाइन को कैबिनेट ने 17 जुलाई 2019 को अपनी स्वीकृति दी थी। निर्माण के लिए 1320 करोड़ का बजट भी स्वीकृत हो चुका है।

भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर को रेल लाइन से जोडऩे के लिए 1345 करोड़ रुपए का बजट भी प्रस्तावित है। हालांकि, इस बजट में बहराइच- श्रावस्ती- बलराम- खलीलाबाद रेललाइन के लिए 20 करोड़ रुपये मिला है।

जबकि कैबिनेट ने इस योजना को पूरा करने के लिए 4940 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। ऐसे में 240 किमी लंबी रेल लाइन के लिए 20 करोड़ ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। दो मार्च 2019 को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने खलीलाबाद में इस नई रेल लाइन की नींव रखी थी।

नई योजनाओं को शुरू करने के लिए पर्याप्त बजट नहीं

जानकारों का कहना है रेलवे बोर्ड पूर्वोत्तर रेलवे में चल रही परियोजनाओं को यथाशीघ्र पूरा करने के लिए पर्याप्त धन आवंटित तो कर दिया है। लेकिन पिछले बजट से ही नई योजनाओं में हाथ नहीं डाल रहा। एक तो नई योजनाओं को शुरू करने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है, ऊपर से आरओआर सर्वे (रेट आफ रिटन्र्स) भी इन रेल लाइनों को घाटा वाला बता रहा है।

हालांकि, यह सभी योजनाएं रेलवे के पिंक बुक में शामिल हैं। आने वाले दिनों में कभी भी इन योजनाओं पर रेलवे बोर्ड की नजर पड़ सकती है। तभी तो पूर्वांचल, बिहार और नेपाल की जनता आस लगाए है। कभी तो उनकी राह आसान होगी।

बजट में प्रमुख रेल लाइनों के लिए मिला धन

सहजनवां-दोहरीघाट 81 किमी – एक हजार।

आनंदनगर-महराजगंज-घुघली 50 किमी – एक हजार।

कपिलवस्तु-बांसी- बस्ती 91 किमी – एक हजार।

गोरखपुर- पडरौना- कुशीनगर 64 किमी- एक हजार।

तुलसीपुर के रास्ते बहराइच-श्रावस्ती-बलरामपुर 80 किमी- 20 करोड़।