प्रधानमंत्री केपी ओली नहीं देंगे तत्काल इस्तीफा, जाने क्या है नेपाल में सियासी दंगल

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काठमांडू।(www.arya-tv.com) नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली का तत्काल इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है और वह संसद का सामना करने के बारे में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल करेंगे.

प्रधानमंत्री के एक आधिकारिक प्रतिनिधि ने बुधवार को यह जानकारी दी। नेपाल के उच्चतम न्यायालय मंगलवार को तय समय से पहले चुनाव की तैयारियों में जुटे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को झटका देते हुए संसद ही भंग की गई प्रतिनिधि सभा को बहाल करने का आदेश दिया था।

प्रधान न्यायधीश चोलेंद्र शमशेर जेबीआर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 275 सदस्यों वाले संसद के निचले सदन को भंग करने के सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए सरकार को अगले 13 दिनों के अंदर सदन का सत्र बुलाने का आदेश दिया।

सत्ताधारी दल में खींचतान के बीच नेपाल उस समय सियासी संकट में घिर गया था जब प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 20 दिसम्बर को संसद की प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल से 10 मई के बीच नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा की थी।

ओली के प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले का पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाले नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के विरोधी धड़े ने विरोध किया था. प्रचंड सत्ताधारी दल के सह-अध्यक्ष भी हैं।

ओली के प्रेस सलाहकार सूर्या थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि उच्चतम न्यायालय के फैसले पर अमल करेंगे और उसके तहत दो सप्ताह में बुलाई जाने वाले संसद सत्र में हिस्सा लेंगे।

थापा ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला विवादास्पद है, लेकिन फिर भी उसे स्वीकार कर लागू किया जाना चाहिए. इसका असर भविष्य में देखने को मिलेगा क्योंकि इस फैसले से राजनीति समस्याओं का कोई समाधान नहीं मिला है.’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से अस्थिरता आएगी और सत्ता की लड़ाई का मार्ग प्रशस्त करेगा।