प्रधानमंत्री ने किया बौद्ध भिक्षुओं का सम्मान, बोले-चीवर दान का मिला सौभाग्य

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(www.arya-tv.com) कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन के मौके पर पहला विमान श्रीलंका के बौद्ध भिक्षुओं को लेकर वहां पहुंचा। श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल में सौ बौद्ध भिक्षुओं के अलावा भी श्रीलंका के पांच मंत्री भी आए हैं। बता दें, इस कार्यक्रम में श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, दक्षिण कोरिया, नेपाल, भूटान और कंबोडिया के प्रख्यात भिक्षुओं के साथ-साथ विभिन्न देशों के राजदूत भी भाग ले रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने गौतम बुद्ध पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन और फिर निर्वाण मंदिर में दर्शन कर वहां चीवर दान किया। इस दौरान उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं का सम्मान किया।

पीएम मोदी अपने संबोधन में कहा कि बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं, बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है। आज भी भारत की संसद में कोई जाता है तो इस मंत्र पर नजर जरूर पड़ती है- ‘धर्म चक्र प्रवर्तनाय’।

भगवान बुद्ध ने कहा था- “अप्प दीपो भव”। यानी, अपने दीपक स्वयं बनो। जब व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होता है तभी वह संसार को भी प्रकाश देता है। यही भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है। यही वो प्रेरणा है जो हमें दुनिया के हर देश की प्रगति में सहभागी बनने की ताकत देती है।
 
पीएम ने क्लाइमेट चेंज की ​चिंता जाहिर की है। कहा कि बुद्ध इसीलिए ही वैश्विक हैं क्योंकि बुद्ध अपने भीतर से शुरुआत करने के लिए कहते हैं। भगवान बुद्ध का बुद्धत्व है- sense of ultimate responsibility. आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात करती है तो क्लाइमेट चेंज की चिंता जाहिर करती है, ऐसे में अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं। लेकिन, अगर हम बुद्ध के संदेश को अपना लेते हैं तो ‘किसको करना है’, इसकी जगह ‘क्या करना है’, इसका मार्ग अपने आप दिखने लगता है।

चीवर दान का मिलना सौभाग्य: प्रधानमंत्री
आज एक और महत्वपूर्ण अवसर है, भगवान बुद्ध के तुषिता स्वर्ग से वापस धरती पर आने का! इसीलिए, आश्विन पूर्णिमा को आज हमारे भिक्षुगण अपने तीन महीने का ‘वर्षावास’ भी पूरा करते हैं। आज मुझे भी वर्षावास के उपरांत संघ भिक्षुओं को ‘चीवर दान’ का सौभाग्य मिला है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि हम सभी जानते हैं कि श्रीलंका में बौद्ध धर्म का संदेश, सबसे पहले भारत से सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ले कर गए थे। माना जाता है कि आज के ही दिन ‘अर्हत महिंदा’ ने वापस आकर अपने पिता को बताया था कि श्रीलंका ने बुद्ध का संदेश कितनी ऊर्जा से अंगीकार किया है। इस समाचार ने ये विश्वास बढ़ाया था, कि बुद्ध का संदेश पूरे विश्व के लिए है, बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है।