प्रेस को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति नहीं दी गई… यह कहते हुए कोर्ट ने खार‍िज की द‍िल्‍ली पुल‍िस की याच‍िका

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(www.arya-tv.com)  दिल्ली की एक अदालत ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दाख‍िल दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज कर द‍िया, जिसमें पिछले साल की गई छापेमारी के दौरान ‘द वायर’ के संपादकों से जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को मज‍िस्‍ट्रेट कोर्ट ने जारी करने का आदेश दिया गया था. 18 अक्टूबर को तीस हजारी अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन सिंह राजावत ने कहा क‍ि प्रेस को हमारे महान लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है. यदि इसे स्वतंत्र रूप से कार्य करने और संचालित करने की अनुमति नहीं दी गई, तो यह हमारे लोकतंत्र की नींव को गंभीर चोट पहुंचाएगी.

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज पवन सिंह राजावत ने छापे के दौरान ‘द वायर’ के संपादकों के जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रिलीज करने के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका को खारिज कर द‍िया. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करके न केवल संपादकों को बेवजह परेशान कर रही है, बल्कि इससे व्यवसाय की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है.

तीस हजारी कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 23 सितंबर को ‘द वायर’ के संपादकों के जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रिलीज करने का आदेश दिया था. इस आदेश को दिल्ली पुलिस ने सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा कि प्रेस हमारे महान लोकतंत्र का चौथा खंभा है और अगर इसे स्वतंत्र रूप से काम करने की आजादी नहीं मिलेगी, तो ये लोकतंत्र की नींव के लिए गहरा आघात होगा.

दिल्ली पुलिस इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की लगातार जब्ती कर न केवल संपादकों को बेवजह परेशान कर रही है, बल्कि व्यवसाय की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है. ऐसा करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी उल्लंघन है. दरअसल, एक श‍िकायतकर्ता अम‍ित मालवीय ने यह आरोप लगाया गया था क‍ि द वायर और उसके संपादक उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है. मालवीय की इस शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 469,171, 500, 120बी और 34 के तहत FIR दर्ज की थी.