पुलिस रिकार्ड: शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़ा गिरोह का मास्टरमाइंड कृष्ण लाल उर्फ केएल पटेल

Prayagraj Zone UP

प्रयागराज।(www.arya-tv.com) मास्टरमाइंड कृष्ण लाल उर्फ केएल पटेल इस वक्त प्रदेश का चेहरा बन गया है। वह 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़ा के आरोप में सलाखों के पीछे है। वह बहरिया के कपसा का रहने वाला है। पुलिस रिकार्ड में वह फर्जीवाड़ा गिरोह का सरगना है। झांसी के प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में चिकित्‍सक रहा है। विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये कमाए थे। कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश के चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में पकड़े जाने के बाद केएल पटेल ने कानून के फंदे से बचने के लिए कई नेताओं से नजदीकी बढ़ाई। विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये कमाने के साथ ही उसके मन में सियासी महत्वाकांक्षा भी जागने लगी।

सीएम हेल्पलाइन के दफ्तर में 24 को कोरोना, समस्या में घिरी राजधानी

धीरे-धीरे वह कुर्मी समाज के युवाओं को नौकरी दिलवाने लगा और जिनके पास पैसा नहीं होता उन्हें भी सरकारी सेवा में किसी तरह भर्ती करवा देता। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को अपने स्कूल में दाखिला दिलवाने लगा। ऐसा करते-करते हुए वह कुर्मी समाज का अगुवा जैसा बन गया। गंगापार के पटेल बिरादरी के लोगों को एकजुट करने लगा और जब उसके साथ भीड़ जुटने लगी तो सफेदपोश बनने की तैयारी में लग गया। धनबल और कुर्मी समाज का समर्थन मिला तो जिला पंचायत सदस्य बन गया। हालांकि उसकी महत्वाकांक्षा और बड़ी थी, जिसके लिए वह एक पार्टी के नेताओं के साथ जुड़ गया।

बदायूं: सहायक लेखाकार की मौत का राज खोलेगा मोबाइल

कभी अपने कॉलेज में किसी विधायक को बुलाता तो किसी कार्यक्रम में मंत्री को। कुछ प्रभावशाली लोगों को अपने साथ लाकर वह अपनी कारस्तानियों पर पर्दा डालने की कोशिश करता था। सोशल मीडिया से लेकर कई गांव में होर्डिंग, पोस्टर के जरिए भी खुद को नेता बनाने के प्रयास में लगा रहा। आमतौर पर जो उसे समाजसेवी, डॉक्टर और स्कूल प्रबंधक के रूप में जानते थे, उन्हें जब सच्चाई का पता चला तो हतप्रभ रह गए।

कोरोना काल में समा रहा आगरा, 58 की मौत, मामले हुए 1020

मंत्री, विधायक से लेकर दूसरे नेताओं की आड़ लेकर अपने गुनाहों को छिपाने की कोशिशों के बावजूद फंस गया। विधायक बनने की कोशिश में रहा डॉ. केएल पटेल विधानसभा चुनाव से पहले अपना दल (एस) के चिकित्सा प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष था। वह प्रतापपुर विधानसभा सीट से चुनाव लडऩा चाहता था। मगर जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दल ही चुनाव मैदान में उतरा था।