नाबालिग से गैंगरेप में पुलिस एफआर निरस्त, पीड़िता के गोपनीय बयान को महत्व, मुजफ्फरनगर कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश में गैंगरेप पीड़िता के गोपनीय बयान के बाद पुलिस की जांच को निरस्त करते हुए कोर्ट ने गैंगरेप केस में आरोपियों के खिलाफ केस चलाने का आदेश दिया है।

मुजफ्फरनगर पाक्सो एक्ट कोर्ट ने पीड़िता की ओर से दाखिल प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए नाबालिग का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म किए जाने के मामले में पुलिस एफईआर निरस्त कर दी है।इसके बाद कोर्ट ने पत्रावली तलब कर आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने पुलिस विवेचना में दिये गए तथ्यों को नजरअंदाज कर 164 सीआरपीसी के तहत दिये गए पीड़िता के बयानों को तरजीह देते हुए फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पुलिस एफआईआर निरस्त करने का आधार पीड़िता का गोपनीय बयान माना। इसमें उसने सामूहिक दुष्कर्म की बात कही थी।

थाना शाहपुर क्षेत्र के एक गांव में पांच माह पहले किशोरी का अपहरण कर उसे ईख के खेत में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। विशेष लोक अभियोजक मनमोहन वर्मा ने बताया कि इस मामले में थाना शाहपुर में सुशील पुत्र रविन्द्र निवासी गांव हरसौली के विरुद्ध दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया गया था।

पीड़िता के पिता की और से मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया गया था कि 9 जुलाई 2023 को सुबह 11 बजे वह अपनी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ खेत पर काम करने चला गया था। घर पर उनकी 16 वर्षीय पुत्री अकेली थी।

आरोप था कि उसी समय सुशील घर पहुंचा और उसकी पुत्री को कांवड़ दिखाने के बहाने घर से ले गया। इसके बाद उसने सतबीर पुत्र फेरू के ईख खेत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।

पुलिस ने मुकदमे में लगा दी थी क्लोजिंग रिपोर्ट

मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने मामले की विवेचना की थी। पीड़िता ने 164 सीआरपीसी के बयान में आरोपों का समर्थन करते हुए बताया था कि नौ जून को वह 11 बजे से सायं चार बजे तक ईख में वह सुशील के साथ थी।इस दौरान सुशील और एक अन्य अनुज पुत्र राजबीर ने उसके साथ दुष्कर्म किया था।

पुलिस ने विवेचना पूर्ण कर यह कहते हुए एफआर लगा दी थी कि ईख के खेत मालिक सतबीर पुत्र फेरू और उसकी पत्नी संगीता ने सुबह 10 से सायं छह बजे तक अपने खेत में होने की बात कहते हुए ऐसी किसी भी घटना से इंकार किया था। पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में भी दुष्कर्म की पुष्टि न होने की बात कही गई थी।

प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र स्वीकार, कोर्ट ने मांगी पत्रावली

पीड़िता के पिता की ओर से पाक्सो एक्ट कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर पुलिस एफईआर निरस्त करने की मांग की थी। वादी पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया था कि विवेचक ने पीड़िता के साक्ष्य को आधार न बनाकर चिकित्सकीय रिपोर्ट के आधार पर एफईआर लगाई है।

पाक्सो एक्ट कोर्ट के जज बाबूराम ने प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र स्वीकार कर पुलिस एफआर निरस्त करने का आदेश दिया। साथ ही, 20 जनवरी को पत्रावली तलब करते हुए आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा चलाने का आदेश जारी किया।