नासा के मुकाबले 10% खर्च पर जा रहा हमारा सूर्य मिशन, यहां जानिए कितना है बजट

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(www.arya-tv.com) चांद की सतह पर सफलतापूर्वक मिशन भेजने के बाद भारत आज सूर्य के लिए मिशन भेज रहा है। इसरो के इस मिशन का नाम ‘आदित्य एल1’ (Aditya-L1) रखा गया है। इसे थोड़ी देर में लॉन्च किया जा रहा है। इस मिशन से सूर्य की अनसुलझे रहस्यों पर से पर्दा उठाने में मदद मिलेगी। इसरो काफी कम कीमत पर अपने मिशन को अंजाम देने के लिए जाना जाता है।

इसकी वजह यह है कि इसरो ने नासा (NASA) और दुनिया की दूसरी स्पेस एजेंसियों के मुकाबले काफी कम लागत पर मिशन भेजे हैं। हाल में चांद की सतह पर सफल लैंडिंग करने वाले चंद्रयान-3 मिशन के कम बजट ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था। आदित्य एल1 का बजट भी दूसरी एजेंसियों के सूर्य मिशन के मुकाबले काफी कम है। वैसे तो इसरो ने सूर्य मिशन के बजट का खुलासा नहीं किया है लेकिन सरकार ने लोकसभा में बताया था कि उसने सोलर मिशन के लिए 378.53 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसमें लॉन्च की लागत नहीं है।

इस बजट के साथ यह अब तक का सबसे सस्ता सोलर मिशन होगा। नासा को स्टीरियो (Stereo) स्पेसक्राफ्ट अक्टूबर 2006 में भेजा गया था जिसका बजट 55 करोड़ डॉलर यानी करीब 4549 करोड़ रुपये था। इसी तरह नासा को पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) की लागत 1.5 अरब डॉलर यानी 1,24,08 करोड़ रुपये है। पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के सबसे करीब जाने वाला मिशन है।

चंद्रयान का खर्च

इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया। लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है। साथ ही इसके लॉन्च पर 365 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसका कुल खर्च चंद्रयान-2 की तुलना में करीब 30 फीसदी कम है।

साल 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 की कुछ खर्च 386 करोड़ रुपये था। इसी तरह साल 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर कुल खर्च 978 करोड़ रुपये का खर्च आया था। यानी तीनों मिशन पर इसरो का कुल खर्च 1,979 करोड़ रुपये रहा। इसके मुकाबले अमेरिका और दूसरे देशों के मून मिशन काफी महंगे रहे थे।