(www.arya-tv.com)बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में विधि विभाग, स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज और कमेटी ऑफ बेसिक फैसेलिटीज फॉर वूमेन के संयुक्त तत्वाधान में ” भारतीय समाज में सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन में महिलाओं का समावेश: सभी के लाभ के लिए एक कदम आगे “ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर महिला एवं बाल सुरक्षा विंग (1090) की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुश्री रूचिता चौधरी मौजूद रही।
इसके अतिरिक्त मंच पर श्री शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के विधि विभाग की प्रमुख प्रो० शेफाली यादव, दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी की सेक्रेटरी श्रीमती मनप्रीत कौर, स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज की डीन प्रो० प्रीति मिश्रा, विधि विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो० सुदर्शन वर्मा एवं कमेटी ऑफ बेसिक फैसेलिटीज फॉर वूमेन की चेयरपर्सन प्रो० शिल्पी वर्मा मौजूद रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों एवं शिक्षकों को
पुष्पगुच्छ, स्मृतिचिन्ह एवं शॉल भेंट करके सम्मानित किया गया। सर्वप्रथम प्रो० प्रीति मिश्रा ने सभी को अतिथियों के परिचय से अवगत कराया। इसके पश्चात प्रो० सुदर्शन वर्मा ने कार्यक्रम के विषय, उद्देश्य एवं रुपरेखा से संबंधित जानकारी दी। उद्घाटन सत्र के दौरान 1090 पुलिस टीम की ओर से महिला संबंधी समस्याओं पर नुक्कड़ नाटक एवं दिव्यांग बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। मंच संचालन का कार्य डॉ० सूफिया अहमद ने किया।
कुलपति आचार्य संजय सिंह ने मातृशक्ति के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्र महिलाओं की समान भागीदारी के बिना प्रगति नहीं कर सकता। हमारी परंपरा में मातृ शक्ति का जो महत्व प्रदान किया गया है उसे सबको स्वीकार करना चाहिए और उसके अनुरूप आचरण करना चाहिए।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुश्री रूचिता चौधरी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा, कि सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ावा देना होगा। संविधान की ओर से तो महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिया गया है, परन्तु वर्तमान समाज आज तक इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पाया है। अत: हमें इस विषय को गंभीरता से लेकर अपनी आवाज को बुलंद करना होगा।
श्री शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के विधि विभाग की प्रमुख प्रो० शेफाली यादव ने अपने विचार रखते हुए कहा, कि समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका उतनी ही प्रमुख है जितनी कि शरीर को जीवित रखने के लिये जल, वायु और भोजन है। प्राचीन काल से ही महिलायें प्रेरणा का स्त्रोत रहीं हैं। इसलिए हमें अपनी मातृशक्ति पर गर्व होना चाहिए।
दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी की सेक्रेटरी श्रीमती मनप्रीत कौर ने महिलाओं को समाज का आधार बताया। इसके अलावा उन्होंने कहा, कि दिव्यांग बच्चों को समाज हीन दृष्टि से देखता है, जबकि अगर देंखे तो इन बच्चों के हाथों में जो हुनर है वह इन्हें विशेष बनाता है।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ० के. शर्मिला द्वारा किया गया। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में दो तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ० अनीस अहमद एवं डॉ० मुजीबुर्रहमान तथा द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रो० संगीता सक्सेना एवं डॉ० राशिदा अख्तर की अध्यक्षता में महिला सशक्तिकरण विषय पर प्रतिभागियों द्वारा पेपर एवं पोस्टर प्रस्तुत किया गया। इसके अतिरिक्त पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।
समापन सत्र के कार्यक्रम की अध्यक्षता डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो० एस० विक्टर बाबू ने की। समापन सत्र के दौरान अतिथि के तौर पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मा सेंट्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायबरेली की प्रो० शुभिनी सराफ, लखनऊ उच्च न्यायालय की अधिवक्ता श्रीमती नलिनी छाबड़ा मौजूद रहीं।