नवरात्र के पहले दिन मेरठ के मंदिरों में माता के र्दशन के लिए उमड़ी भीड़

Meerut Zone

(www.arya-tv.vom) आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा का पर्व शारदीय नवरात्र आज से आरंभ हो गए हैं। इस बार मां डोली में सवार होकर आई है। नवरात्र इस बार आठ दिन के होंगे। तृतीय और चतुर्थी की एक ही दिन होगी। प्रत्येक दिन मां भगवती के स्वरुप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम प्रतिपदा को प्रातकाल शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके मां का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कालिका पुराण के अनुसार कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृ शक्तियां निवास करती हैं।

ऐसे करें कलश स्थापना व पूजन
प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुंदर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसके कलश के दायीं और रखना चाहिए। इसके बाद मां भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का एफ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए।

अखंड ज्योति जलाएं
इसके पश्चात सर्वप्रथम लक्ष्मी गणेश जी की आराधना करके फिर माँ दुर्गा से प्रार्थना करें- ‘हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिए’। इसके बाद सबसे पहले मां को दीपक दिखाइए और फिर धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।

नवरात्री के प्रथम दिन ही अखंड ज्योति जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है। दीपक के नीचे चावल रखने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा सप्तधान्य रखने से सभी कष्ट दूर होते हैं।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस वर्ष सीमित समय तक होगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:44 से दोपहर 12:31 तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में सबसे शुभ होगा। इंडियन काउंसिल आफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि संपूर्ण प्रतिपदा चित्रा और वैधृति से युक्त होने के कारण अभिजीत मुहूर्त ही ग्राह्य होगा। लेकिन किसी कारणवश अगर भक्त इन समयों में स्थापना न कर पा रहे हो तो सुबह 06:30 से 08:00 बजे तक भी घट स्थापना कर सकता है। स्थिर लग्न प्रात: 09:25 से 11:44 बजे तक होगा।

देश-दुनिया में उथल-पुथल के संकेत
हर साल शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन व प्रस्थान विशेष तरीके से होता है। इस साल मां दुर्गा का आगमन पालकी (डोली) पर हो रहा है। इसका अर्थ है कि विश्व में कुछ नया होने वाला है। परिवर्तन अथवा विनाश दोनों की संभावना है।

विश्व में राजनीतिक उथल-पुथल, प्राकृतिक आपदाओं से जन धन हानि और कई देशों अथवा प्रांतों में छत्र भंग अर्थात राजा या सता परिवर्तन होगा। पालकी में विराजमान मां दुर्गा जब आती है तो महिला शक्ति का अभ्युदय होता है। नारी शक्तियों को विश्व पहचानता है और उन्हें सम्मान देता है।  

प्रथम दिन बन रहे शुभ योग
गुरुवार को चित्रा नक्षत्र होने से चर योग बनता है। चर योग में आरंभ होने वाले नवरात्र शुभ माने गए हैं। इस बार नवरात्र की शुरुआत चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में होगी। इसलिए घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त में करना श्रेष्ठ रहेगा। इसी प्रकार नवरात्र में चार बार रवि योग बनेगा। यह योग उन्नति और समृद्धि देता है।