बंसत पंचमी के ही दिन, जानिए ​क्यों बीएचयू का मनाया जाता है स्थापना दिवस किसने की थी स्थापना

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(www.arya-tv.com) बसंत पंचमी के दिन ही 1916 में बीएचयू की स्थापना संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी। तब से हर साल वसंत पंचमी के दिन ही विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस मनाया जाता है।  

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू ) की आधारशिला रखने और शिलान्यास स्थल की जगह का चयन करने के लिए चार महीने में एक दो नहीं बल्कि शिलान्यास समारोह समिति की 22 बैठकें हुईं। तब जाकर शिलान्यास स्थल, तिथि सहित अन्य औपचारिकताओं पर फाइनल मुहर लग सकी। चार फरवरी 1916 को वसंत पंचमी के दिन विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई। तब से हर साल वसंत पंचमी के दिन ही विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस मनाया जाता है। विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए एक शिलान्यास समिति का गठन हुआ। इसके लिए बाबू राधाचरण साह और रायकृष्णजी को 24 नवंबर 1915 को समिति का संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया।

इसके बाद 17 नवंबर 1915 से लेकर 27 फरवरी 1916 के बीच 22 बैठकें हुईं। विश्वविद्यालय की ओर से प्रकाशित काशी हिंदू विवि का इतिहास खंड एक में इसका जिक्र भी है। इसमें लिखा है कि 17 नवंबर 1915 को पहली बैठक में ही शिलान्यास समारोह के स्थान के बारे में निर्णय लिया गया। इसमें रामनगर किले के सामने गंगा की धारा से पांच-छह फर्लांग की दूरी पर खुले मैदान का चयन किया गया।

बीएचयू की स्थापना के लिए जो शिलान्यास हुआ था, वह स्थान इस समय ट्रामा सेंटर परिसर में है। दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय के सामने स्थित एक मंदिर भी है, जहां उस समय की शिलान्यास की पट्टिका भी लगी है। वर्ष 1916 में बीएचयू की स्थापना हुई थी। इस तरह स्थापना के 107 साल पूरे हो गए हैं। छात्रों की संख्या बढ़ने, सुविधाओं में साल दर साल इजाफा, शोध के साथ ही खेलकूद की प्रतिस्पर्धाओं से लेकर कैंपस सलेक्शन सहित अन्य उपलब्धियों से विश्वविद्यालय की नई पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर हुई। इसकी खासियत यह है कि शिक्षा के साथ ही कृषि क्षेत्र और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुविधाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है। पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना संक्रमण की वजह से शोभायात्रा नहीं निकाली जाएगी।

बीएचयू कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि बीएचयू की स्थापना के 107 साल पूरे होना हम सभी के लिए गौरव की बात है। इस एतिहासिक संस्थान के निरंतर विकास की दिशा में सभी के सहयोग से हर संभव बेहतर कार्य किया जा रहा है। शिक्षा, शोध, स्वास्थ्य सभी क्षेत्रों के माध्यम से इसकी ख्याति को बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। इसके लिए विकास की यह यात्रा जारी रहेगी।