ओम पुरी , जिन्होंने साबित कर दिया कि अगर पत्थर को तबीयत से उछालो तो आसमां में भी सुराख हो सकता है

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(www.arya-tv.com) ओम पुरी हिंदी सिनेमा के ऐसे कलाकार रहे, जिन्होंने साबित कर दिया कि अगर पत्थर को तबीयत से उछालो तो आसमां में भी सुराख हो सकता है। ओम पुरी और उनके परिवार ने जिस तरह का दुख-दर्द झेला…बेखर हुए, पिता पर चोरी के आरोप लगे, वैसा किसी और के साथ होता तो शायद टूट जाता। पर ओम पुरी ने हिम्मत नहीं हारी।

परिवार के लिए ओम पुरी को वह काम भी करना पड़ा, जिसे आप और हम करने से पहले दो बार सोचते। ‘मंडे मोटिवेशन’ में हम आपको ओम पुरी की वो कहानी बता रहे हैं, जिसे सुन दिल दहल जाएगा। पर उन लोगों को प्रेरणा भी मिलेगी, जो जरा से दुख-दर्द या परेशानी में हिम्मत खो देते हैं और कई दफा गलत कदम तक उठा लेते हैं।

अंबाला के पंजाबी हिंदु परिवार में जन्मे ओम पुरी का दूर-दूर तक एक्टिंग से कोई नाता नहीं था। घर-परिवार में भी कोई ऐसा सदस्य नहीं था, जो फिल्मी दुनिया में हो। पिता टेक चंद पुरी भारतीय रेलवे में काम करते थे। वह भारतीय सेना में भी रहे। लेकिन जब Om Puri 6 साल के थे, तो परिवार पर ऐसा दुख टूटा, जिसने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। ओम पुरी और उनका परिवार सड़क पर आ गया था। वो बेघर हो गए थे।

पिता पर चोरी का आरोप, परिवार बेघर, भाई कुली बना

दरअसल, ओम पुरी के पिता पर सीमेंट चोरी का आरोप लगा, जिसकी वजह से उन्हें जेल में डाल दिया गया। इस कारण परिवार बेघर हो गया, घर छिन गया। स्थित इतनी खराब हो गई कि खाने तक के लाले पड़ गए। ऐसी स्थित में मजबूर होकर ओम पुरी के भाई को कुली बनना पड़ा।

चाय की दुकान पर काम, रेलवे ट्रैक पर कोयला बीना

वहीं ओम पुरी चाय की दुकान पर काम करने लगे। लेकिन इस काम से घर का गुजारा नहीं हो पा रहा था। ऐसे में ओम पुरी को मजबूरी में रेलवे ट्रैक पर पड़ा कोयला उठाने का काम भी करना पड़ा। इससे जो कमाई होती, उससे घर का काम चलता। ओम पुरी के परिवार की स्थित कितनी दयनीय थी, इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। बताया जाता है कि बाद में ओम पुरी के साथ-साथ उनके भाई के बच्चों की परवरिश नौकरानी ने की थी।

न शर्ट के लिए पैसे, ना ही भर पाए फीस

ओम पुरी ने इस काम को करने के साथ-साथ जैसे-तैसे पढ़ना शुरू कर दिया। स्कूली पढ़ाई करने के बाद वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में आ गए। यहां उनकी दोस्ती नसीरुद्दीन शाह से हुई, जिन्होंने उन्हें सलाह दी कि वह पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट चले जाएं। हमारे सहयोगी ईटाइम्स को ओम पुरी ने एक बार बताया था कि उनका परिवार इतना गरीब था कि एफटीआईआई जाने के लिए न तो शर्ट थी और न ही ट्यूशन की फीस भरने के पैसे।

ओम पुरी की फिल्में, जीता नेशनल अवॉर्ड

बाद में ओम पुरी ने फिल्म ‘चोर चोर छुप जा’ से डेब्यू किया किया। उस दौरान भी ओम पुरी आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, और गुजारे के लिए एक्टर्स स्टूडियो में काम करते थे। बाद में ओम पुरी ने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘जाने भी दो यारों’, ‘अर्ध सत्य’, ‘माचिस’, ‘आक्रोश’, ‘धूप’, ‘जमाना’ और ‘गांधी’ जैसी कई फिल्में कीं। साल 1982 में आई ‘अर्ध सत्य’ के लिए ओम पुरी ने बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जीता था।

2017 में मौत, ऑस्कर ने ओम पुरी को दिया सम्मान

लेकिन 6 जनवरी 2017 में ओम पुरी इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी 66 साल की उम्र में हार्ट अटैक से मौत हो गई। दुनियाभर के सिनेमा में योगदान के लिए ओम पुरी को 89वें ऑस्कर अवॉर्ड्स में सम्मानित भी किया गया था। अपने करियर में ओम पुरी ने हिंदी के अलावा इंग्लिश, बंगाली, कन्नड़, पंजाबी, गुजराती, तेलुगू और मराठी के साथ-साथ इंडिपेंडेंट और आर्ट फिल्मों में भी काम किया था।