परमाणु बम और हम

Lucknow National
  • विपुल लखनवी। पूर्व परमाणु वैज्ञानिक ( ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत )

वर्तमान में इजराइल के विरुद्ध कई मुस्लिम देशों का युद्ध में उतरना और रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में अब परमाणु बम को इस्तेमाल करने का संदेह व्यक्त किया जा रहा है इस कारण जनमानस को यह जानना चाहिए कि परमाणु बम होता क्या है? इसके द्वारा हम क्या बचाव और कैसे बचाव कर सकते हैं? बचाव कर सकते हैं कि नहीं कर सकते हैं यह एक बड़ा प्रश्न है। वास्तव में यह मानवता का सबसे बड़ा विनाशक और सबसे अधिक घृणात्मक पहलू है। इस विषय पर चर्चा करते हैं। यह वह विस्फोटक उपकरण है जो परमाणु अभिक्रिया से अपनी विनाशकारी शक्ति प्राप्त करता है। एक प्रकार से यह अनियंत्रित परमाणु विद्युत उत्पादन केंद्र है? परमाणु बम में यह परमाणु अभिक्रिया अनियंत्रित होती है जबकि परमाणु बिजली घर में इस प्रक्रिया को नियंत्रित करके उस ऊर्जा से विद्युत उत्पादन किया जाता है।

नाभिकीय अस्त्र या परमाणु बम एक विस्फोटक युक्ति है जिसकी विध्वंसक शक्ति का आधार नाभिकीय अभिक्रिया होती है। यह नाभिकीय संलयन या नाभिकीय विखण्डन या इन दोनो प्रकार की नाभिकीय अभिक्रियों को साथ मिलाकर बनाये जा सकते हैं। दोनो ही प्रकार की अभिक्रिया के परिणामस्वरूप थोड़े ही विखंडनिय सामग्री से भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। आज का एक हजार किलो से थोड़ा बड़ा नाभिकीय हथियार इतनी ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है जितनी कई अरब किलो के परंपरागत (परम्परागत) विस्फोटकों से ही उत्पन्न हो सकती है। नाभिकीय हथियार महाविनाशकारी हथियार कहलाते हैं।

सन् १९४५ में जापान के नागासाकी पर गिराये बम से उत्पन्न कुकुरमुता के सदृश बादल – ये बादल बम के गिरने के स्थान से लगभग १८ किमी उपर तक उठे थे। द्वितीय विश्वयुद्ध में सबसे अधिक शक्तिशाली विस्फोटक, जो प्रयुक्त हुआ था, उसका नाम ‘ब्लॉकबस्टर’ था। इसके निर्माण में तब तक ज्ञात प्रबलतम विस्फोटक ट्राईनाइट्रोटोलुईन का 11 टन प्रयुक्त हुआ था। इस विस्फोटक से 2000 गुना अधिक शक्तिशाली प्रथम परमाणु बम था जिसका विस्फोट टी. एन. टी. के 22,000 टन के विस्फोट के बराबर था। अब तो प्रथम परमाणु बम से हजारों गुना अधिक शक्तिशाली परमाणु बम बनाए जा चुके हैं।
परमाणु बम में प्रयुक्त होने वाला पदार्थ यूरेनियम या प्लुटोनियम का समस्थानिक होता है। यूरेनियम या प्लुटोनियम के परमाणु विखंडन से शाक्ति प्राप्त होती है। इसके लिए विखंडनिय पदार्थ के परमाणु केंद्रक में न्यूट्रॉन से प्रहार किया जाता है। इस प्रहार से ही बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है। इस प्रक्रम को भौतिक विज्ञानी नाभिकीय विखंडन कहते हैं। परमाणु के नाभिक के अभ्यंतर में जो न्यूट्रॉन होते हैं उन्हीं से न्यूट्रान मुक्त होते हैं। ये न्यूट्रॉन अन्य परमाणुओं पर प्रहार करते हैं और उनसे फिर विखंडन होता है। ये फिर अन्य परमाणुओं का विखंडन करते हैं। इस प्रकार श्रृंखलाबद्ध अभिक्रियाएँ आरंभ होती हैं। जो 1 सेकंड के सौंवे हिस्से में संपन्न हो जाती है। जिनके फलस्वरूप भीषण प्रचंडता के साथ ऊर्जा विस्फोट होता है।

परमाणु विस्फोट के लिए विखंडनीय पदार्थ की क्रांतिक संहति आवश्यक होती है। श्रृंखला क्रिया के चालू करने के लिए क्रांतिक संहति न्यूनतम मात्रा है। यदि विखंडनीय पदार्थ की मात्रा क्रांतिक संहति से कम है तो न्यूट्रॉन उत्पादन कम होने के कारण केवल अभिक्रिया नहीं होगी। । मात्रा के धीरे धीरे बढ़ाने से एक समय ऐसी अवस्था आएगी जब कम से कम एक उन्मुक्त न्यूट्रॉन एक नए परमाणु पर प्रहार कर उसका विखंडन कर अधिक से अधिक न्यूट्रॉन पैदा करेगा। ऐसी स्थिति पहुँचने पर विखंडन क्रिया स्वत: चलने लगती है।

परमाणु बम में विखंडन से यूरेनियम और उसे निकटवर्ती अन्य पदार्थों का ताप बड़ी शीघ्रता से ऊपर उठता है। धात्विक यूरेनियम बड़ी ऊँची दाब और ताप पर तापदीप्त गैस में परिणत हो जाता है। विस्फोटक पिंड का ताप 10,00,00,000° से. तक उठ जाता है। इतने ऊँचे ताप पर यूरेनियम की थापी हट जाती है। तब सारा पिंड बड़ी प्रचंडता से विस्फुटित होता है। परमाणु बम के विस्फुटित होने पर आधात तरंगें उत्पन्न होती हैं जो ध्वनि की गति से भी अधिक गति से चारों ओर फैलती है। जब परमाणु बम को पृथ्वीतल के ऊपर विस्फुटित किया जाता है तो तरंगें पृथ्वीतल से टकराकर ऊपर उठती हैं और नया आघात उत्पन्न करती हैं जो ऊपर और नीचे तीव्रता से फैलता है। विस्फोट का केंद्र तत्काल तप्त होकर निर्वात उत्पन्न करता है। निर्वात भरने के लिए आसपास की ठंडी हवाएँ दौड़ती है। इस प्रकार परमाणु बम से घरों पर आघात पड़ने से वे टूट जाते हैं।

विस्फोटक पदार्थ अन्य तत्वों में बदल जाता है, उससे रेडियो ऐक्टिवेधी किरणें निकलकर जीवित कोशिकाओं को आक्रांत कर उन्हें नष्ट कर देती हैं। बम का विनाशीकारी कार्य (1) आघात तरंगों, (2) वेधी किरणों तथा (3) अत्यधिक ऊष्मा उत्पादन के कारण होता है।