कानपुर में एनएसआइ ने तैयार किया गन्ने का नया फार्मूला, जाने क्या है पूरा मामला

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कानपुर(www.arya-tv.com) देश में चीनी मिलों और गन्ना किसानों के बीच सीधा संबंध है। चीनी मिलों को अच्छा बाजार भाव मिलने पर किसानों को सीधे अतिरिक्त लाभ पहुंचता है। पिछले दो वर्षों से चीनी का उत्पादन सरप्लस है। गोदामों में स्टॉक पहले से ही है जबकि नई चीनी आने लगी है।

ऐसे में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) तकनीक विकसित कर रहा है, जिससे मिलों को आर्थिक लाभ मिल सके और किसानों की आय भी दोगुनी हो जाए। यहां के विशेषज्ञ अपने शोध और तकनीक से कई वैल्यू एडिशन (मूल्य संवर्धित) उत्पाद बना चुके हैं, जिसके उत्पादन से चीनी और डिस्टलरी (शराब की फैक्ट्री) के कारोबार में और मिठास घुल सके। गन्ने का मूल्य हर राज्य का अलग है।

इसको एकरूपता में लाने के लिए खास तरह का फार्मूला तैयार किया गया है, जिसे उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को भेजा जा चुका है। आइए जानते हैं संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन से, जिन्होंने चीनी उद्योग को पंख लगाने के लिए कई तरह की प्लाङ्क्षनग की है। उनके साथ दैनिक जागरण की बातचीत के प्रस्तुत हैं।

चीनी मिल और किसान एक ही सिक्के के पहलू हैं। चीनी मिलों को मुनाफा होता है तो किसानों को भी समय पर भुगतान हो जाता है। किसान अपने खेतों में गन्ने के साथ ही 16 अन्य तरह की फसलें उगा सकते हैं, जिनमें साल पहले 70 टन प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन हो रहा था, आज 80 से 85 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार है। 10 से 15 फीसद बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह से गन्ने से प्रति टन चीनी की मात्रा भी ज्यादा मिल रही है। अधिक उत्पादन होगा तो किसानों को भी ज्यादा मुनाफा मिलेगा।