GST के बाद तेल-साबुन पर टैक्स कम हुआ:न्यू टैक्स रिजीम से टैक्सेशन आसान हुआ

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(www.arya-tv.com) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि GST ने जरूरत की चीजों पर टैक्स नहीं लगाया है। GST से पहले राज्यों के पास वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) और एक्साइज ड्यूटी जैसी अपनी व्यवस्थाएं थी।

इसलिए यह कहना गलत है कि GST के चलते ही आपके साबुन, तेल और कंघी पर टैक्स लगा है। मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि GST के बाद इन सभी प्रोडक्ट्स पर लगने वाला टैक्स कम हुआ है।

GST ने टैक्सेशन को आसान बनाया

GST ने अलग-अलग टैक्सों को एक किया, जिससे टैक्सेशन आसान और देशभर में एक जैसा हो गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि कई लोग टैक्स में छूट नहीं चाहते हैं, इसलिए हमने आसान टैक्सेशन की व्यवस्था इंट्रोड्यूस की।

हम बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन हमारी भी सीमाएं हैं

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी GST और मिडिल क्लास पर इसके बढ़ते बोझ पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि उनकी सरकार ने टैक्स सिस्टम को निष्पक्ष और आसान बनाने के लिए कई सार्थक प्रयास किए हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ‘देश के लोगों के लिए हम और भी बहुत कुछ करना चाहते हैं। लेकिन हमारी भी सीमाएं हैं।’

समझाना चाहूं तो लोग कहेंगे- वित्त मंत्री ने हिम्मत कैसे की?

वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स सिस्टम को आसान बनाने के लिए हम न्यू टैक्स रिजीम लेकर आए। इससे टैक्सेशन आसान हो जाता है और टैक्सपेयर्स को कई तरह की छूट भी मिल जाती है। लेकिन विवाद और आलोचना के इसे समझाना मुश्किल है। लोग बोलेंगे वित्त मंत्री ने हिम्मत कैसे की?

काफी देर से GST समझे मिनिस्टर, समझाने में कमी हुई

कुछ राज्यों में कार खरीदना सस्ता था, जबकि अन्य में यह काफी महंगा था। GST काउंसिल का गठन टैक्स में यूनिफॉर्मिटी के लिए किया गया था। इसमें शामिल मिनिस्टर्स ने इसे समझने में काफी समय लिया।

यह सोचना गलत है कि GST से पहले ये सभी प्रोडक्ट्स टैक्स फ्री थे। अब इनपर टैक्स लगाया जा रहा है।

बजट 2025 में सरकार पर टैक्स कम करने का दबाव

वित्त मंत्री की ओर से ये बयान ऐसे समय में आएं हैं जब वित्त वर्ष 2025-26 का बजट आने वाला है और टैक्स में कटौती की मांग जोर पकड़ रही है। जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट घटकर 5.4% रह गई, जो पिछले दो साल में सबसे कम है। जबकि इन्फ्लेशन के चलते डिस्पोजेबल इनकम यानी लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए पैसा नहीं बच रहा है।