नेताजी बोले- जब तक सामने भीड़ न हो, मुंह से शब्द नहीं निकलते-अखिलेश यादव

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com) चुनाव आयोग ने कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के चलते यूपी में चुनावी रैलियों-सभाओं पर रोक बरकरार रखी है। साथ ही प्रचार में कोविड प्रोटोकॉल के सख्त पालन की भी हिदायत दी है। हालांकि, यह रोक और हिदायतें कागजों पर दिख रही हैं। असल में नेता न भीड़ से परहेज कर रहे हैं और ना ही कोविड प्रोटोकॉल मान रहे हैं। इसमें कोई पार्टी किसी से कम नहीं है। शनिवार को ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले- जब तक लीडर्स के हाथ में माइक न हो और सामने भीड़ न हो…तब तक मुंह से शब्द नहीं निकलते।

इस मामले में भाजपा के नेता भी पीछे नहीं

हाल ही में गौतमपल्ली थाने में सपा के 2500 नेता-कार्यकर्ताओं पर कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन पर मामला दर्ज किया गया है। अखिलेश इसी मामले पर पर बयान दे रहे थे। खास बात ये भी है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा अध्यक्ष ने पत्रकारों को तो कोरोना नियम मानने की हिदायत दी, मगर यह कहते हुए ही अपना मास्क उतार कर रख दिया। इस मामले में भाजपा के नेता भी पीछे नहीं हैं। पिछले दिनों पीएम की सुरक्षा में चूक के मामले भाजपा नेताओं ने मौन धरने के नाम पर राजधानी लखनऊ में जुलूस निकाला। पार्टी के यूपी प्रभारी राधामोहन सिंह चुनाव प्रचार के दौरान ही कोविड पॉजिटिव हो चुके हैं।

चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया ;कार्यकर्ताओं पर दर्ज हुआ केस

14 जनवरी को सपा के कार्यालय में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत भाजपा छोड़ने वाले 8 विधायकों ने सपा जॉइन की थी। इसी दौरान लगी भीड़ पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया था। गौतमपल्ली थानाध्यक्ष को हटाते हुए 2500 सपा नेता-कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। हालांकि 10 जनवरी को लखनऊ में ही हुए भाजपा के मौन धरने पर पुलिस ने किसी तरह का कोई केस दर्ज नहीं किया है।

सपा कार्यालय में दोबारा लगी भीड़

गौतमपल्ली थाने में केस दर्ज होने के अगले ही दिन 15 जनवरी को अखिलेश ने अपनी पार्टी के तीन गाने लॉन्च करने की प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी। इसमें भी नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ पत्रकारों की भीड़ जुटा ली गई। शनिवार को भी सपा कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिर बिना किसी कोविड प्रोटोकॉल के लोगों की भीड़ लगी। पुलिस ने सिर्फ कार्यालय के बाहर कोरोना नियमों के पालन का नोटिस चस्पां कर इतिश्री कर ली है।

नोटिस चस्पा ही करती रही पुलिस
14 जनवरी की घटना के लिए थानाध्यक्ष को निलंबित किए जाने के बाद गौतमपल्ली थाना से पुलिस बल सपा कार्यालय के बाहर पहुंचा जरूर लेकिन पुलिस की यह कार्रवाई सपा कार्यालय के बाहर नोटिस चस्पा करने और हाथों में माइक लिए कोविड नियमों का पालन करने का अनाउंस करने तक ही सीमित थी। मौक पर 150 से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद थे, लेकिन यह न तो भीड़ को नियंत्रित कर पाए और न ही लोगों को कोविड नियमों का उल्लंघन करने से रोक पाए।

भाजपा का मौन धरना भी नियमों का उल्लंघन
8 जनवरी को चुनाव तारीखों के साथ रैलियों पर रोक की घोषणा के दो दिन बाद यानी 10 जनवरी को ही भाजपा ने भी नियमों का उल्लंघन किया था। 10 जनवरी को भाजपा के अनुसूचित मोर्चे ने प्रदेश कार्यालय से हजरतगंज तक करीब डेढ़ घंटे मौन धरने के नाम पर पैदल यात्रा निकाली। यह मौन धरना पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर था। कांग्रेस और सपा के कुछ नेताओं ने इसे लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की थी।