दिव्यांग महिलाओं के प्रति सहानुभूति नहीं बल्कि स्वीकार्यता की आवश्यकता : अनुप्रिया पटेल

Education
  • दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में अनुप्रिया पेटल ने अपने विचार व्यक्त किये
  • सिर्फ आलोचना करने से बदलाव नहीं आएगा : बैडमिंटन खिलाड़ी मिस पलक कोहली

(www.arya-tv.com)बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन विवि के भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेई सभागार में हुआ। नेशनल कमीशन फ़ॉर वीमेन, नई दिल्ली द्वारा समर्थित यह सेमिनार “इंक्लूसिवनेस ऑफ द डिफरेंटली एब्लेड वीमेन: चैलेंजेज एंड अपोर्चुनिटीज़ इन इंडिया ( दिव्यांग महिलाओं की समावेशिता: भारत में चुनौतियां और अवसर )” विषय पर आयोजित किया जा रहा है। सेमिनार के उद्घाटन सत्र की मुख्य अतिथि अनुप्रिया पटेल, मिनिस्टर ऑफ स्टेट कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, एवं विशिष्ट अतिथि मिस पलक कोहली, इंडियन पैरा बैडमिंटन प्लेयर रही। विवि के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

कुलपति आचार्य संजय सिंह ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि प्राचीन समय से ही भारत में नारी शक्ति सदैव पूजनीय रही है। बदलते समय और विदेशी हमलों ने भारत की संस्कृति पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाला, जिसके चलते आज हमारा समाज ऐसी मानसिक विकृति का शिकार हो चुका है। मानसिक विकार शारीरिक विकार से ज्यादा घातक है। मानसिकता में सुधार के लिए विचारों को नियंत्रित करना ज़रूरी है। योग एवं ध्यान के माध्यम से हमे अपने मन के विकारों को दूर करने में मदद मिल सकती है। हमे मानसिक दृढ़ता पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

मुख्य अतिथि अनुप्रिया पटेल ने कहा कि समाज की सबसे बड़ी विकलांगता संकुचित दृष्टिकोण है। दिव्यांगजनो की खूबियों को देखने की क्षमता समाज में नहीं है। ज़रूरत है तो दिव्यांगजनो की अनोखी प्रतिभाओं को समझने और उसे प्रोत्साहित करने की है। भारत मे दिव्यांग महिलाओं को परिवार और समाज दोनों जगहों पर चुनौती का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। अंत में उन्होंने कहा कि समाज में हमें ऐसी दिव्यांग महिलाओं के प्रति सहानुभूति नहीं बल्कि स्वीकार्यता की आवश्यकता है।

विश्व की तीसरी सर्वोच्च पैरा ओलम्पिक बैडमिंटन खिलाड़ी मिस पलक कोहली ने कहा कि हमें किसी भी बदलाव की सूरत खुद बनना चाहिए, सिर्फ आलोचना करने से बदलाव नहीं आएगा। उन्होंने समाज से दिव्यांगजनो के प्रति सहानुभूति रखने की जगह उन्हें एक आम व्यक्ति की तरह देखने का आग्रह किया।

संगोष्ठी की निदेशक प्रो. शिल्पी वर्मा ने सभी का कार्यक्रम में स्वागत किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम विवि के कमेटी ऑफ बेसिक फैसिलिटीज़ फ़ॉर वीमेन, जेंडर चैंपियन समिति, आज़ादी का अमृत महोत्सव समिति तथा एनसीसी इकाई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहा है।

कार्यक्रम में पलक कोहली के गुरु, द्रोणाचार्य पुरस्कार एवं यश भारती सम्मान से सम्मानित श्री गौरव खन्ना तथा विवि की दो दिव्यांग गैर शैक्षणिक कर्मचारी शबनम सैफी और सतिवन्दर कौर को स्मृति चिन्ह सम्मानित किया गया।

एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर डॉ. राजश्री ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजन मंडल के सदस्य डॉ. मनोज डडवाल, डॉ. एम. एल. मीणा, डॉ. आर. एस. वर्मा, डॉ. तरुणा, डॉ अर्पित शैलेश, डॉ. सुभाष, डॉ. अनिल यादव, डॉ. शिखा, डॉ. नितेश समेत अन्य शिक्षक, विद्यार्थी एवं कर्मचारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रो. सुदर्शन वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

उद्घाटन सत्र के बाद तीन तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया। पहले तकनीकी सत्र में डॉ. शालिनी अग्रवाल ने दृष्टिबाधित किशोरियों को माहवारी के दौरान स्वच्छता का कैसे ध्यान रखना है इस पर अपना वक्तव्य दिया। दूसरे तकनीकी सत्र में प्रो. सुरदारपुरी ने ‘विकलांगता और दलित महिलाएं’ विषय पर वक्तव्य दिया। इसके बाद मिस मोनिका लाल ने दिव्यांगजनो के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी दी। तीसरे तकनीकी सत्र प्रो. शेफाली यादव ने दिव्यांग महिलाओं के अधिकारों के बारे में जानकारी दी। इन तीनो सत्रों में आमंत्रित व्याख्यान के साथ पेपर प्रेजेंटेशन भी हुए जिसमें देश भर से आए शोधार्थियों ने पेपर प्रेजेंटेशन दिया।